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सुख दुख के खेल मे उल्झा जीवन

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                                          बहुत सुंदर गीत है ,और उसकी ही एक बहुत ही सुंदर पंक्ति है "सुख     आते है दुःख आते है हम सुख दुःख के झमेले में मस्त रहते है मदमस्त रहते है .....और सायद  यही दो लाइन   समझ आ जाये तो सारा  जीवन सुखमय हो जाये क्यों पूरी की पूरी दुनिया इसी  सुख दुःख की उधेड़बुन में लगी है किसी को भी समझ नहीं आता  की वो क्यों दोड़ रहा है उसे चाहिए क्या है ,और इस तरह निरुद्देश्य  दोड़ लगाने से उसे निराशा के आलावा कुछ मिलने वाला नहीं है...आज लगभग हर इन्सान उस सुख की  खोज  में दर बदर भटक रहा है जिसकी उपलब्धि  संसार में है ही नहीं वो जो सुख चाहता है वो तो उस निराकुल परमात्मा में है ..पर जब उसे यह पता चलता है की वह  सुख परमात्मा के पास है तो वह मंदिरों मस्जिदों और ग़ुरुद्वारो के चक्कर लगाने लग जाता ह...