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यकीन मानो जल्द ही ये हालात बदल जाएंगे....

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भरोसा तो रख ये हालात बदल जाएंगे, जल्द ही कुछ चेहरे साफ नजर आएंगे बात बेबात पर बातों का बतंगड़ बनाने वाले लोगों को कुछ सुनकर कुछ और ही सुनाने वाले महानुभावों को सब जानकर भी अंजान बेकसूर से दिखने वाले इन मासूमों को एक जोरदार तमाचे की तरह कुछ सख्त जवाब  भी मिल जाएंगे भरोसा तो रख जल्द ही ये हालात बदल जाएंगे....१ गलतफहमी है तुम्हारी कि तुम बिन यूं अकेले से हैं हम सब साथ नहीं है फिर भी आओ देख लो अकेले खड़े हैं हम हर सांस के लिए जंग की तरह भले ही ज²ोजहद करते जाएंगे यकीन मानो जल्द ही ये हालात बदल जाएंगे..... हर तरफ मुझ जैसे कई चोट खाए हुए ही तो दिखते हैं जख्म पर नमक लगाने वालों में से कुछ के साथ खून के भी रिस्ते हैं अब जरा दुख की घडिय़ों की हवा तो चलने तो कुछ चेहरों से अपने आप पर्दे उतर जाएंगे.. यकीन मानो बहुत जल्द ही हालात बदल जाएंगे.. अव्यक्त

चचा की जेएनयू चाय......

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ठंड खत्म होने से पहले ही उमस बढ़ाने वाली गर्मी की दोपहरी को चचा कलूराम के टपरे पर चाय पी रहे थे। चाय का पहला घूट पीते हुए ही चचा की जीभ जरा जल गई। बस फिर क्या था। चचा चालू हो गए। कलूराम तुम्हारी चाय भी ना जेएनयू की तरह हो गई है। ना जाने कितनों की जीभ जला रही है। नाम सुनते ही लोग बड़बड़ाने लगते हैं। अब तुम्हारी चाय भी चायविरोधी हो गई है। चाय के नाम पर कलंक है तुम्हारी चाय। कलूराम, पर चचा चाय तो गर्म ही होती है आपको ही सोच समझकर पीना थी ना , आप बस हो हल्ला मचाने लग गए। अच्छा मैं हो हल्ला मचा रहा हूं, मैं नासमझ हूं...मैं ना समझुं तो बुरा और सरकार ना समझे तो अच्छा। अरे सरकार भी तो समझ सकती थी ना कि , छात्र युवा हैं थोड़ी गर्मी तो होगी ही। समझा बुझाकर मना लेते इतना बवाल ही ना मचता। लेकिन नहीं कुछ विकास ना कर पाए तो बवाल तो करना ही है। बिल्कुल मेरी तरह जब पैसे ना देना हो तो चीखना चिल्लाना शुरु कर दो। और तुम भी तो पैसे ना दो तो मौहल्ले के काले कलूटे लठेतों को बुला लेते हो। जैसे सरकार ने काले कोट वालों को बच्चों को पीटने बुला लिया था। और हां तुम्हारे पड़ोसी भी तो इतनी सी बात क...