किस्मत पर कितना भरोसा करें? कब तक भरोसा करें? उम्मीद टूटती है तो दुख तो होता है
हम सभी सपने देखते हैं, कुछ करने के कुछ बनने के, ये स्वाभाविक प्रक्रिया भी है। कई बार हम भरसक कोशिश करते हैं उन्हें पूरा करने के लिए बहुतों के सपनों को पंख भी लगते हैं लेकिन अधिकतर लोगों के सपने नींद टूटने की तरह ही होते हैं। जो शायद कभी पूरे नहीं होते। यहां बहुत सारी बाते कहीं जा सकती हैं कि मेहनत पूरी तरह से नहीं की गई, तन,मन का समर्पण नहीं हो पाया और भी बहुत कुछ लेकिन जब उम्मीद या सपना टूटता है न तो दुख तो होता ही है। खैर एक रामवाण इलाज है इस असफलता को पचाने का जिसे हम किस्मत कहते हैं। जब कभी हमारे साथ ऐसा कुछ होता है हम सभी सिर्फ एक ही बात करते हैं शायद किस्मत खराब थी। अगली बार देखने सफलता जरूर मिलेगी। लेकिन क्या किस्मत का पोस्टमार्टम करने पर इस बात की गारंटी मिल सकती है कि जो कमी मेरी मेहनत में रह गई थी वो किस्मत के कारण थी। उसमें मेरी गलती नहीं है। यहां यह भी कह सकते हैं क्या सच में किस्मत नाम की कोई चिडिय़ा होती है। आप कहेंगे बिल्कुल हम तो हर दिन, हर क्षण मुखातिब होते हैं ऐसे उदाहरणों से, मतलब किस्मत का अस्तित्व है तो सही लेकिन यदि वो है तो रहती कहां है। उसकी साधना का ...