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..जिंदगी इतनी भी सस्ती नहीं कि यूं सुसाइड करके खत्म कर दी जाए!

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इन दिनों जिंदगी काफी कसमकश में गुजर रही है। किसी तरह का तनाव नहीं है फिर भी पता नहीं क्यों कुछ उलझन है, कुछ पछतावा है, कुछ बेमतलब सी परेशानियां हैं। जो नजर तो नहीं आ रही हैं लेकिन उनकी तकलीफ है बहुत। अब इस दर्द का मर्ज क्या है, ये बताना मुश्किल है. अरे इससे ज्यादा मुश्किल तो यह बताना है कि आखिर हुआ क्या है। दरअसल हमें कई बार समझ नहीं आता कि हमारी परेशानी क्या है क्योंकि हम छोटी-छोटी बातों को धीरे-धीरे दिमाग में जमा करते जाते हैं। वो सब परेशानियां होती तो छोटी हैं लेकिन जब सब एक साथ हो जाती हैं तो बहुत ही बड़ी हो जाती हैं जिनका सामना करना हमारे लिए असंभव है। बस यहीं से तनाव, अवसाद शुरू हो जाता है। फिर समझ नहीं आता कि मैं परेशान क्यों हूं क्योंकि परेशानियां इतनी हैं कि हम किसी एक पर आरोप नहीं लगा सकते। शायद इसलिए हम उन्हें दूर नहीं कर पाते और दूर चले जाते हैं अपनों से सपनों से बक्सर कलक्टर मुकेश पांडे की तरह....   हम सबको तनाव है, शारीरिक, मानसिक, व्यक्तिगत व पारिवारिक। हम मैं से अधिकतर लोग हर रोज इनसे रूबरू होते हैं। पर सब नहीं टूटते, सब यू हीं छोड़कर नहीं चले जाते। क्योंकि उन...