..जिंदगी इतनी भी सस्ती नहीं कि यूं सुसाइड करके खत्म कर दी जाए!

इन दिनों जिंदगी काफी कसमकश में गुजर रही है। किसी तरह का तनाव नहीं है फिर भी पता नहीं क्यों कुछ उलझन है, कुछ पछतावा है, कुछ बेमतलब सी परेशानियां हैं। जो नजर तो नहीं आ रही हैं लेकिन उनकी तकलीफ है बहुत। अब इस दर्द का मर्ज क्या है, ये बताना मुश्किल है. अरे इससे ज्यादा मुश्किल तो यह बताना है कि आखिर हुआ क्या है। दरअसल हमें कई बार समझ नहीं आता कि हमारी परेशानी क्या है क्योंकि हम छोटी-छोटी बातों को धीरे-धीरे दिमाग में जमा करते जाते हैं। वो सब परेशानियां होती तो छोटी हैं लेकिन जब सब एक साथ हो जाती हैं तो बहुत ही बड़ी हो जाती हैं जिनका सामना करना हमारे लिए असंभव है। बस यहीं से तनाव, अवसाद शुरू हो जाता है। फिर समझ नहीं आता कि मैं परेशान क्यों हूं क्योंकि परेशानियां इतनी हैं कि हम किसी एक पर आरोप नहीं लगा सकते। शायद इसलिए हम उन्हें दूर नहीं कर पाते और दूर चले जाते हैं अपनों से सपनों से बक्सर कलक्टर मुकेश पांडे की तरह....

 
हम सबको तनाव है, शारीरिक, मानसिक, व्यक्तिगत व पारिवारिक। हम मैं से अधिकतर लोग हर रोज इनसे रूबरू होते हैं। पर सब नहीं टूटते, सब यू हीं छोड़कर नहीं चले जाते। क्योंकि उन्हें वजह दिखती है जीने के लिए। क्योंकि जब उम्मीद मर जाती है तो जिंदगी दफन होती है किसी कब्र में। हम खुद फंस रहे हैं धीरे-धीरे। बिना आहट के। खमोशी से। चुपचाप। चेहरे पर मुस्कान है पर खुशी नहीं। सारी दुनिया देखती है सोशल मीडिया में आपके मुस्कुराते हुए फोटो। सब तारीफ करते हैं लाइक करते हैं, कमेंट्स करते हैं पर ये सब जिंदगी तो नहीं देते। जीना तो खुद को ही है। हंसते हुए या फिर रोते हुए..दरअसल दुखी होना कौन चाहता है। रोना कौन चाहता है। पर हम में से शायद ही कोई हो जो ये न करता हो..ये स्वाभाविक है। यथार्त है। जीवन इसी का नाम है। फिर टूटना, रूठना, छूटना कैसा....

 
बचपन में एक कहानी पढ़ा करता था कि एक राजा युद्घ के लिए निकलता है। तब उसे रास्ते में एक बौना ललकारता है लेकिन राजा उसे अंनदेखा कर देता है क्योंकि वो उसके सामने छोटा है। वो बौना फिर सामने आता है लेकिन अब उसका कद पहले से बढ़ हुआ रहता है। राजा फिर वही गलती करके उसे अनदेखा कर देता है इसी तरह कई बार उससे अपने से कमजोर और छोटा समझकर राजा उसे जाने देता है लेकिन एक दिन जब वो सामने आता है तो राजा देखता है उसका आकार उससे कई गुना बढ़ गया है। वो बौना राजा कि पूरी सेना को तहस-नहस कर देता है और आखिरकार राजा हार जाता है। हम भी उसी राजा कि ही तरह गलती कर रहे हैं छोटी-छोटी परेशानियों को बढ़ा करके। फिर एक दिन जब वो आपसे बढ़ी हो जाती हैं तो आप जिंदगी हार जाते हैं. और आपके सामने होता है मुकेश पांडे की तरह रास्ता.....

 
जिंदगी का यह वो सच है जिसे हम ताउम्र झूठ साबित करने में गुजार देते हैं कि सुख-दुख, जीवन-मरण, उल्लास-अवसाद सब जिंदगी के पलड़े हैं कोई सर्वदा, सर्वकालिक रहने वाला नहीं है। अवसाद वाले वक्त कि सबसे अच्छी बात यही है कि वो गुजर जाता है और शायद अच्छे वक्त की यही सबसे बुरी बात है...जिंदगी यूं ही गुजरती है..बस जो परेशानियों में उलझता है..खुद पर हावी हो जाने देता है वो टूट जाता है..मर जाता..समाप्त हो जाता है...मुकेश पांडे की तरह..

 
मुकेश पांडे की मौत सामान्य नहीं है, वो एक हादसा है जो हम में से किसी के साथ कभी भी हो सकता है। हमें सोचना होगा कि देश की सबसे बड़ी परीक्षा पास करने वाला जिंदगी से हार कैसे गया। क्यों वो तनाव को खुद पर हावी होने से नहीं रोक पाया। ध्यान रखिए हम सबके अंदर मुकेश पांडे की तरह कमजोरी घर करके बैठी है इसलिए उसका दूर होना जरूरी है। जितनी जल्दी हो उतना अच्छा। वरना जो होगा वो बेहद खौफनाक होगा.....
#Avyakt

Comments

Popular posts from this blog

विश्वास में ही विष का वास है

मानव जीवन का आधार शुद्ध आहार शाकाहार

गणतंत्र दिवस और कुछ कही कुछ अनकही बातें ....सच के आइने में !!!!!!!!