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Showing posts from October, 2019

रमन सिंह इतने मौन क्यों?

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रायपुर. सियासत बड़ी बेदर्द होती है, जब देती है तो इतना कि इंसान खुद को स्वंभू समझने लगता है और जब लेती है तो इंसान खुद के अस्तित्व के लिए भी जद्दोजहद करता है। 15 साल तक जो चेहरा छत्तीसगढ़ की पहचान हुआ करता था आजकल उसे ढ़ूंढ़ना पड़ रहा है। बात भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह की हो रही है, अर्श से फर्श तक कैसे पहुंचते हैं इसे डॉ रमन सिंह से बेहतर कौन समझ सकता है। जो इंसान कभी सत्ता के सिरमौर रहा वो अब खुद का वजूद बचाने की जद्दोजहद में लगा हुआ है। एक सवाल इस समय छत्तीसगढ़ के साथ ही पूरा देश पूछ रहा है कि आखिर डॉ रमन सिंह इतने मौन क्यों हैं ? विधानसभा चुनाव हुए करीब एक साल होने को है लेकिन डॉ साहब क्यों निष्क्रीय होते जा रहे हैं, चुनाव के समय भाजपा का स्लोगन था ‘ रमन पर विश्वास है, कमल संग विकास है ’ अब क्या रमन को खुद पर भरोसा नहीं रहा। क्या 15 सालों में जो विकास छत्तीसगढ़ में हुआ है वो काफी नहीं था खुद की पहचान बचाए रखने के लिए। आखिर क्यों चुनाव हारते ही डॉ रमन सिंह खुद की पहचान खोते जा रहे हैं, संगठन का भरोसा उन पर से उठता जा रहा है। एक समय था जब ...

विश्वास में ही विष का वास है

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रिश्ते इतने कमजोर होते जा रहे हैं कि जरा सी हवा लगते ही दरक जाते हैं, हर कोई हर किसी को शक कि निगाह से देखता है, कहता कुछ नहीं है लेकिन एक जहर मन में बोता रहता है। यह अधिकतर लोगों और अधिकतर घरों की कहानी है। सारा परिवार साथ है, वर्षों से, बात करता है, हंसता है, पिकनिक मनाता है, बच्चे पैदा करता है, सबकुछ जो देखने में सब ठीक की अनुभूति देता है लेकिन अंतरंग में जहर का वो पौधा हर दिन बढ़ता है, उसकी जड़े हर दिन मजबूत होती जाती हैं। अधिकतर लोग ऐसे ही आधा जी रहे हैं और आधा मर रहे हैं, किसी से पूछो क्या चल रहा है वो बस एक ही जबाव देता है ‘ बस जिंदगी चल रही है" सबकी चलती ही है। यहां एक बात समझने लायक है कि सबकुछ ठीक दिखने के बाद भी सबकुछ ठीक क्यों नहीं है, क्यों इतना अविश्वास नसों में जहर बनकर दौड़ रहा है, पति-पत्नी, मां-बेटी, बाप-बेटे, गर्लफ्रेंड-ब़ॉयफ्रेंड सबको देखिए सब एक दूसरे के मोबाइल में नजरें गड़ाए हैं, सब सोशल मीडिया में नजरें गड़ाए हैं कि एक दूसरे का राज पता चले। सब डरे हुए भी हैं कोई हिम्मत नहीं करता कि लो देख लो जो देख ना हो टाइप। मतलब सबके अंदर एक चोर है, जो अविश्वास...