आज के मानव की तस्वीर ,,,,,,,
जब कभी रोड पर भोखे नंगे लोगो को बिलखते देखता हु तो दिल पसीज जाता है मानवता पर शर्म आती है | और सामने एक तस्वीर सामने आती है ,इस भारत देसे की उस बोध महावीर की सिक्षा ,गाँधी के सपनो की जिन्हें उनोहोने अपने सपनो में सजाया था इस भारत देश की तस्वीर खिची थी पर सायद वो सपना आज धूमिल हो गया हम सम विस्मिरित कर गए ,हमें दुसरो का दुःख दिकना बंद हो ,हमें अब सिर्फ अपना दुःख ही दुःख लगता है बाकि का नहीं ,हमें अपने ही बस अपने लगते है दुनिया के अन्य लोगो की हमें परवाह नहीं |आज हम महज अपने स्वार्थ में मस्त है ,और सिर्फ अपने बारे में सोचते है |पर क्या यही हमारी मानवता है यही हमारा धर्म है |पूरी दुनिया में जिस संस्कृति के हम गुण गाते रहते है ,क्या यही हमारी संस्कृति है ,की हमारा पडोसी भूखा रहे और हम मजे से खाए ,हमारी संवेदनाये मर गयी है हमारी मानवता समाप्त हो गयी है जिसके कारन हमें रोते बिलखते लोग नजर आते है,कभी उनके चहरे पर खुसी नजर नहीं आती ,पर सायद यही दिन हमारे साथ भी अ सकता है ...