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दिल का दर्द शब्दों में बयाँ कर

बहुत  दिनों  बाद  कुछ  लिखने को  कलम मचल गई फिर  क्या  था दिल  की  बात  कागज पर  उतर  गई  क्या  बताता क्या छीपाता कब तक खुद को रोक पाता लिखते  लिखते  जिन्दगी  की   कहानी आंख भर गई उलझनों   ने   इस  कदर  उलझा   के  रख  मुझे की  खुद   को  समझने   में   फिर   उम्र  गुजर  गई मौत  भी  दरवाजे    पर  आकर  लौट  गई  शायद लगता है जिन्दगी की उलझने देख कर वो भी डर गई

यादो में जिन्दगी या जिन्दगी में यादें .......[यादो का सफरनामा पार्ट -१]

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                   कहते है कुछ यादें  जिन्दगी बन जाती है जिन्हें हम चाह  कर भी  भुला नहीं पाते क्यूंकि अच्छी यादो की यह बहुत अच्छी   बात होती  है की उन्हें याद नहीं रखा जाता वह याद रह जाती है |और फिर वही यादें हमारी जिन्दगी बन जाती है और  जिन्दगी  वाही यादें बनती है जिसे हम दुबारा  नहीं जी सकते हर किसी  की जिन्दगी में ऐसे पल आते है जिसे वह हम  कभी भूलना नहीं चाहता क्यूंकि  जिन्दगी के संध्याकाल में वाही तो एक चीज़ होती है जो जिसे याद करके हम  हमेशा खुश रहते  है इसलिए कहते की जिन्दगी में यादें नहीं होती यादो में जिन्दगी हुआ करती है |    दोस्तो में यह सब बाते ऐसे ही नहीं लिखता जा रहा हु चूँकि बिगत कुछ दिनो पहले मेरी कॉलेज  लाइफ ख़त्म हुई है  और हमने अपने  कॉलेज के दिनो में बहुत एन्जॉय किया है क्यूंकि हमने  हर वो ख़ुशी एकदूजे को देने की कोशिश की है  जिसे  हम जीने चाहते थे |और शायद उन लम्हों को यद् करके हमारी जिन्दगी गुजर जाएगी...