यादो में जिन्दगी या जिन्दगी में यादें .......[यादो का सफरनामा पार्ट -१]
कहते है कुछ यादें जिन्दगी बन जाती है जिन्हें हम चाह कर भी भुला नहीं पाते क्यूंकि अच्छी यादो की यह बहुत अच्छी बात होती है की उन्हें याद नहीं रखा जाता वह याद रह जाती है |और फिर वही यादें हमारी जिन्दगी बन जाती है और जिन्दगी वाही यादें बनती है जिसे हम दुबारा नहीं जी सकते हर किसी की जिन्दगी में ऐसे पल आते है जिसे वह हम कभी भूलना नहीं चाहता क्यूंकि जिन्दगी के संध्याकाल में वाही तो एक चीज़ होती है जो जिसे याद करके हम हमेशा खुश रहते है इसलिए कहते की जिन्दगी में यादें नहीं होती यादो में जिन्दगी हुआ करती है |
दोस्तो में यह सब बाते ऐसे ही नहीं लिखता जा रहा हु चूँकि बिगत कुछ दिनो पहले मेरी कॉलेज लाइफ ख़त्म हुई है और हमने अपने कॉलेज के दिनो में बहुत एन्जॉय किया है क्यूंकि हमने हर वो ख़ुशी एकदूजे को देने की कोशिश की है जिसे हम जीने चाहते थे |और शायद उन लम्हों को यद् करके हमारी जिन्दगी गुजर जाएगी |क्यूंकि वो ऐसे पल थे जिसे हुम शायद अब दुबारा न जी सके इसलिए कहते है की जिन्दगी में पल कितने है यह महत्वपूर्ण नहीं एक पल में जिन्दगी कितनी है यह बहुत महत्वपूर्ण है |
दोस्तो में यह सब बाते ऐसे ही नहीं लिखता जा रहा हु चूँकि बिगत कुछ दिनो पहले मेरी कॉलेज लाइफ ख़त्म हुई है और हमने अपने कॉलेज के दिनो में बहुत एन्जॉय किया है क्यूंकि हमने हर वो ख़ुशी एकदूजे को देने की कोशिश की है जिसे हम जीने चाहते थे |और शायद उन लम्हों को यद् करके हमारी जिन्दगी गुजर जाएगी |क्यूंकि वो ऐसे पल थे जिसे हुम शायद अब दुबारा न जी सके इसलिए कहते है की जिन्दगी में पल कितने है यह महत्वपूर्ण नहीं एक पल में जिन्दगी कितनी है यह बहुत महत्वपूर्ण है |
में कुछ अपने खास मित्रो से आपको मिलाना चाहता हु ...मेरे कुछ अजीज़ मित्र है जिनमे अमिताभ ,ह्रदेश,शालिनी और खुशबु . |हम पांचो की अलग ही एक दुनिया थी जहाँ सिर्फ खुशियो का बाजार भरा करता था, हम एकदूजे की ख़ुशी के लिए सबकुछ करने के लिए तैयार थे |हमारे ग्रुप को "एच"ग्रुप के नाम से सम्बोधा जाता था |अब में यहाँ एच का मतलब तो नहीं बता सकता क्यूंकि इसे हमने अव्यक्त कर दिया था |जिसे सिर्फ समझने वाले ही समझते थे |सबसे पहले में आपको अमिताभ के बारे में बता देता हूँ | सच में में यदि कहू तो शायद मेरी जिन्दगी में अमिताभ दूसरा ऐसा इन्सान होगा जिस पर में आंख बंद करके भरोसा कर सकता था |आप यकीन नहीं कर करेंगे की अमिताभ का दिल और दिमाग इतना साफ था की जैसे स्फटकमणि उसने हमेशा दुसरो की खुशियों के लिए अपनी खुशियों को कुर्बान कर दिया और भी बहुत सारी खुबिया उसमे थी वो बोलता कम था पर जब भी बोलता था काम का ही बोलता था |अमिताभ ने हमारे ग्रुप में आकर वो जगह सम्हाल ली जिसे हम भरना चाहते थे |और मुझे लगता है वो जगह उसके आलावा कोई और भर ही नहीं सकता |और भी बाकि के बारे में बताऊंगा पहले अपने ग्रुप के कुछ रूल्स आपको बता देता हूँ |
इस ग्रुप में लोगो के जेब बड़े हो न हो दिल बहुत बड़ा था और इतना बड़ा की सारी दुनिया उसमे समां जाये | क्यूंकि हम एक ही उद्देश्य पर काम करते थे खुश रहो और खुश रहने दो और हमने हमेशा ही दुसरो को खुश रखने की कोशिश की और हा बस दिल ही बड़ा नहीं था बाते तो और भी बड़ी बड़ी हुआ करती थी |शालिनी मेडम तो हमारा atm कार्ड थी जब बोलो तब जितना बोलो उतना उनके पास हुआ करता था और उनकी बाते और आत्मविश्वास तो इतना था की उनसे बतयाने वाला ही शर्मा जाये और उसकी बोलती बंद हो जाये |शालिनी की सबसे अच्छी बात यह थी की वो सबका ख्याल रखा करती थी और शायद हमारे ग्रुप में उसको जितना प्यार हम लोग करते थे शायद ही किसी को करते हो उसका रूठना तो हमारी जिन्दगी में सुनामी ला देता था |इसलिए उसे हम बहुत ही सम्हाल के रखा करते थे जिससे वो नाराज न हो जाये |
मुझे याद है अपने कॉलेज का वो पहला दिन बड़ी घबराहट के साथ गया था |बिलकुल चुपचाप शरमाया हुआ सा, मुझे समझ नहीं आता था किस्से बात करू क्या बात करू |पर एकदम से एक लड़का आता है और मुझे छत पर चलने के लिए कहता है और में उसके साथ चला भी जाता हूँ , तभी वो कहता है की छत पर जाना मना है किसी ने देख लिया तो कॉलेज से निकल देंगे और बोला की मुझे तो कोई दिक्कत नहीं है क्यूंकि मुझे तो सब जानते है पर तू तो गया काम से ..समझ ही नहीं आया की आज तो प्रवेश लिया ही है और आज ही कॉलेज से निकल दिया जाऊंगा और मेरे पास तब रोने के आलावा कुछ नहीं था |तभी वह लड़का मेरे पास आता है और मुझे गले से लगा कर कहता है अबे पागल में तो मजाक कर रहा था तुझे कुछ नहीं होगा |वो दिन है की आज का दिन मुझे हमेशा रोने के लिए कन्धा दिया अगर किसी ने तो वो ह्रदेश ही था |जितना कठोर वो दिखता था उतना वो था नहीं |भोपाल का हर वो कोना चाहे वो अच्छा हो या बुरा उसने देखा था |और उस दिन हमारे ग्रुप में ह्रदेश आ गया अब हम चार लोग थे सबकी हसी ख़ुशी एकदूजे के साथ हम में से कोई एक न आये तो लगता था जैसे आज कॉलेज में कोई आया ही नहीं या फिर आज तो कॉलेज की छुट्टी है |
अब हमारा ग्रुप पूरा था पर न जाने क्यूँ अधुरा सा लगता था न जाने क्यों किसी अपने की आने की आहट सी हमेशा महसूस होती थी तभी अचानक एक दिन कही से पता नहीं कैसे और भी कोई आ गया बहुत खुबसुरत सा और बिंदास सा उसे देख कर तो ऐसा लगता था जैसे ख़ुशी भी उसे देख कर खुश होती है |दिल से बिलकुल बच्ची मगर दिमाग से बहुत समझदार उसकी हरकतो को अगर याद करो तो तो आप नींद में भी हस सकते है उसका नाम था खुशबु जैसा नाम वेसा काम हर जगह खुशिया बिखेरना ही उसका काम था,उसकी सबसे अच्छी बात यही थी की वो कभी नहीं रूठती थी हमेशा खुश रहना इसलिए उसके पास हमेशा no .१ का ख़िताब रहा वो इसलिए की हमारे ग्रुप जो सबसे ज्यादा खुश रहता था उसे ही यह ख़िताब दिया जाता था ||अब बचा में तो में अपने बारे में क्या बताऊ जब कभी इन लोगो से मिलो तो वो तुम्हे अपने आप आप मेरे बारे में बात देंगे क्यंकि कुछ लोगो को अपने बारे में कुछ बताना नहीं पड़ता बस उनके बारे में दुनिया को पता चल ही जाता है |घबराइए नहीं अपनी तारीफ नहीं कर रहा हूँ बस यही बताने की कोशिश कर रहा की में था क्या बस इसी तरह बहुत बड़ी बड़ी बाते किया करता था इसलिए मुझे सब अभिषेक बाबा के नाम से बुलाते थे |अब ज्यादा कुछ नहीं लिख रहा हूँ इस लेख में क्यूंकि आप लोग इसे रामायण जितना लम्बा समझ कर पड़ेंगे नहीं पर अगले लेख में बताऊंगा कितनी हसीं सरराते हमने की और जिन्दगी को भी अपनी ख़ुशी से खुश करा दिया ,और जब कभी भी मेरे दोस्त या आप सब इसे पड़ेंगे तो आपकी आंखे नाम जरुर हो जाएँगी |
इस ग्रुप में लोगो के जेब बड़े हो न हो दिल बहुत बड़ा था और इतना बड़ा की सारी दुनिया उसमे समां जाये | क्यूंकि हम एक ही उद्देश्य पर काम करते थे खुश रहो और खुश रहने दो और हमने हमेशा ही दुसरो को खुश रखने की कोशिश की और हा बस दिल ही बड़ा नहीं था बाते तो और भी बड़ी बड़ी हुआ करती थी |शालिनी मेडम तो हमारा atm कार्ड थी जब बोलो तब जितना बोलो उतना उनके पास हुआ करता था और उनकी बाते और आत्मविश्वास तो इतना था की उनसे बतयाने वाला ही शर्मा जाये और उसकी बोलती बंद हो जाये |शालिनी की सबसे अच्छी बात यह थी की वो सबका ख्याल रखा करती थी और शायद हमारे ग्रुप में उसको जितना प्यार हम लोग करते थे शायद ही किसी को करते हो उसका रूठना तो हमारी जिन्दगी में सुनामी ला देता था |इसलिए उसे हम बहुत ही सम्हाल के रखा करते थे जिससे वो नाराज न हो जाये |
मुझे याद है अपने कॉलेज का वो पहला दिन बड़ी घबराहट के साथ गया था |बिलकुल चुपचाप शरमाया हुआ सा, मुझे समझ नहीं आता था किस्से बात करू क्या बात करू |पर एकदम से एक लड़का आता है और मुझे छत पर चलने के लिए कहता है और में उसके साथ चला भी जाता हूँ , तभी वो कहता है की छत पर जाना मना है किसी ने देख लिया तो कॉलेज से निकल देंगे और बोला की मुझे तो कोई दिक्कत नहीं है क्यूंकि मुझे तो सब जानते है पर तू तो गया काम से ..समझ ही नहीं आया की आज तो प्रवेश लिया ही है और आज ही कॉलेज से निकल दिया जाऊंगा और मेरे पास तब रोने के आलावा कुछ नहीं था |तभी वह लड़का मेरे पास आता है और मुझे गले से लगा कर कहता है अबे पागल में तो मजाक कर रहा था तुझे कुछ नहीं होगा |वो दिन है की आज का दिन मुझे हमेशा रोने के लिए कन्धा दिया अगर किसी ने तो वो ह्रदेश ही था |जितना कठोर वो दिखता था उतना वो था नहीं |भोपाल का हर वो कोना चाहे वो अच्छा हो या बुरा उसने देखा था |और उस दिन हमारे ग्रुप में ह्रदेश आ गया अब हम चार लोग थे सबकी हसी ख़ुशी एकदूजे के साथ हम में से कोई एक न आये तो लगता था जैसे आज कॉलेज में कोई आया ही नहीं या फिर आज तो कॉलेज की छुट्टी है |
अब हमारा ग्रुप पूरा था पर न जाने क्यूँ अधुरा सा लगता था न जाने क्यों किसी अपने की आने की आहट सी हमेशा महसूस होती थी तभी अचानक एक दिन कही से पता नहीं कैसे और भी कोई आ गया बहुत खुबसुरत सा और बिंदास सा उसे देख कर तो ऐसा लगता था जैसे ख़ुशी भी उसे देख कर खुश होती है |दिल से बिलकुल बच्ची मगर दिमाग से बहुत समझदार उसकी हरकतो को अगर याद करो तो तो आप नींद में भी हस सकते है उसका नाम था खुशबु जैसा नाम वेसा काम हर जगह खुशिया बिखेरना ही उसका काम था,उसकी सबसे अच्छी बात यही थी की वो कभी नहीं रूठती थी हमेशा खुश रहना इसलिए उसके पास हमेशा no .१ का ख़िताब रहा वो इसलिए की हमारे ग्रुप जो सबसे ज्यादा खुश रहता था उसे ही यह ख़िताब दिया जाता था ||अब बचा में तो में अपने बारे में क्या बताऊ जब कभी इन लोगो से मिलो तो वो तुम्हे अपने आप आप मेरे बारे में बात देंगे क्यंकि कुछ लोगो को अपने बारे में कुछ बताना नहीं पड़ता बस उनके बारे में दुनिया को पता चल ही जाता है |घबराइए नहीं अपनी तारीफ नहीं कर रहा हूँ बस यही बताने की कोशिश कर रहा की में था क्या बस इसी तरह बहुत बड़ी बड़ी बाते किया करता था इसलिए मुझे सब अभिषेक बाबा के नाम से बुलाते थे |अब ज्यादा कुछ नहीं लिख रहा हूँ इस लेख में क्यूंकि आप लोग इसे रामायण जितना लम्बा समझ कर पड़ेंगे नहीं पर अगले लेख में बताऊंगा कितनी हसीं सरराते हमने की और जिन्दगी को भी अपनी ख़ुशी से खुश करा दिया ,और जब कभी भी मेरे दोस्त या आप सब इसे पड़ेंगे तो आपकी आंखे नाम जरुर हो जाएँगी |
अभिषेक जैन जिसे हमलोग आज भी प्रोफेसर साहब के नाम से पुकारते हैं । दिल का सच्चा इंसान ....हम पहली बार बस में मिले तब मैंने नहीं सोचा था कि हम इतने खास होंगे । ह्रृदेश धारवार... सबसे मिलकर कैसे रहा जाए कोई इनसे सीखे । शीलिनी और खुश्बु के चेहरे की smile और पल खुश रहनें को भुलाया नहीं जा सकता ।चाहे कैसे भी पल हों इनलोंगों ने हमें खुशीयाँ बहुत दी जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता । और जहाँ तक मेरी बात मैं अपनें आप को समझ नहीं पाया ।
ReplyDeletebahut accha likhe ho dil ki chuu gayi ...
thanks a lot....
bhai tujhe hhne samjh liya h na ...tujh se acha insan shayad hi mujhe mile ....tujhe pa kar to humne sab kuch pa liye re
Deletebetu i luv u lot
Deleteamitabh i luv u lot
shalini i luv u lot
hridesh i luv u lot
love u so much dear
Deleteभाई में तुमारे ग्रुप में नहीं था पर कमेंटस देने के लिए बीच में घुस रहा हूं। अभिषेक भाई जो भी लिखा तुम ने लजाबाब लिखा । तुमारा लेख पढ़कर ग्रुप की नहीं पर मेरें साथ दो साल गुजाने बाले सभी साथियों की याद आ गई । आपको ग्रुप को किसी की नजर न लगें । यही दुआ है मेरी ।
ReplyDeleteआपका दोस्त
ग्रुप का पता नहीं
yr tujhe to group ki jarurt hi nahi thi.....tu to mere hghr ka hai ve...dil me rahta hai ...aisi bate karke rulayega kya
ReplyDeletelove u lot abhishek n ur group mates.........bahot accha likha...........meri jaan hai pagal tu......
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