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Showing posts from July, 2012

जाने कहा गये वो दिन .......[यादो का सफरनामा पार्ट -२]

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          " ये वक्त तू क्यों नहीं ठहर जाता बस यही             मुझे तेरे बीत जाने का बहुत  अफ़सोस होगा             तेरे जाने के बाद सबकुछ  साथ है हो तो क्या             मेरा अपना ना  कोई  तब   मेरे  साथ  होगा "                              बस ऐसे ही ना जाने क्यों मन शायर सा हो गया था और लोग सच ही कहते है जब मोहब्बत हो जाती है |तो शायरी तो अपने आप ही आ  जाया करती है |और यह बस वहि हुआ| यहाँ मैं  अपनी बात नहीं कर रहा हूँ  क्योंकि  मुझे तो बचपन से ही शायरी  करने का शौक था| मगर मेरे  बाकी "एच ग्रुप" के लोग भी शायरी करने लगे थे,जिसका मुझे बड़ा आश्चर्य होता  था  | अभी आपको दो दिन पहले की ही बात बताऊ जैसे ही हमने शालिनी और खुशबु को विदा किया उनके जाने के बाद ह्रदेश और अमिताभ के सन्देश पड़ कर तो ...

"जिए तो जिए कैसे कहे?कहे कैसे ?रहे कैसे ? .......जिन्दगी के कुछ उलझन भरे सवाल!!!!!!!!!!!!!

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                              जब बुरा चलता है ना तब अच्छी बाते और अच्छे लोग बहुत अच्छे लगते है ...क्योंकि  शायद अच्छे लोगो से अच्छी बाते करने से कम से कम अच्छे समय के आने का अहसास तो हो ही जाता है |खैर छोडिये इसे बिगत दिनों से मेरे साथ कुछ खास अच्छा नहीं हो रहा है |और में बार- बार किश्मत को कोसता रहता हूँ या फिर भगवन को पर क्या करूँ  बुरे वक्त की  यही तो बुरी बात है की सिर्फ बुरा ही बुरा  बुरे वक्त में सोचने में आता है |और मैं विगत दिनों से इसी उधेड़बुन में लगा हूँ की आखिर कैसे जिन्दगी को दिशा दी जाये और इस बुरे वक्त से निकला जाये और इसके लिए मैंने काफी चिंतन या कहे विचार किया है और बहुत सारे लोगो से बात भी की है पर शायद कुछ समाधान नहीं निकला अपितु समस्याएँ और पनपती गई है इस समय को आप पनौती  वाला समय भी नाम दे सकते है |बहुत सारे लोगो ने बहुत सारी बाते कही और बहुत सारे समाधान देकर खुद को सलाह  विशेषज्ञ या परोपकारी भी मानने लगे होंगे और मुझे पर हंस भी रहे होंगे ...

"जिए तो जिए कैसे कहे? कैसे रहे? क्या करे ? .......जिन्दगी के कुछ उलझन भरे सवाल!!!!!!!!!!!!!

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                              जब बुरा चलता है ना तब अच्छी बाते और अच्छे लोग बहुत अच्छे लगते है ...क्योंकि  शायद अच्छे लोगो से अच्छी बाते करने से कम से कम अच्छे समय के आने का अहसास तो हो ही जाता है |खैर छोडिये इसे बिगत दिनों से मेरे साथ कुछ खास अच्छा नहीं हो रहा है |और में बार- बार किश्मत को कोसता रहता हूँ या फिर भगवन को पर क्या करूँ  बुरे वक्त की  यही तो बुरी बात है की सिर्फ बुरा ही बुरा  बुरे वक्त में सोचने में आता है |और मैं विगत दिनों से इसी उधेड़बुन में लगा हूँ की आखिर कैसे जिन्दगी को दिशा दी जाये और इस बुरे वक्त से निकला जाये और इसके लिए मैंने काफी चिंतन या कहे विचार किया है और बहुत सारे लोगो से बात भी की है पर शायद कुछ समाधान नहीं निकला अपितु समस्याएँ और पनपती गई है इस समय को आप पनौती  वाला समय भी नाम दे सकते है |बहुत सारे लोगो ने बहुत सारी बाते कही और बहुत सारे समाधान देकर खुद को सलाह  विशेषज्ञ या परोपकारी भी मानने लगे होंगे और मुझे पर हंस भी रहे होंगे |पर अब जब जिन्दगी ह...