जाने कहा गये वो दिन .......[यादो का सफरनामा पार्ट -२]
" ये वक्त तू क्यों नहीं ठहर जाता बस यही मुझे तेरे बीत जाने का बहुत अफ़सोस होगा तेरे जाने के बाद सबकुछ साथ है हो तो क्या मेरा अपना ना कोई तब मेरे साथ होगा " बस ऐसे ही ना जाने क्यों मन शायर सा हो गया था और लोग सच ही कहते है जब मोहब्बत हो जाती है |तो शायरी तो अपने आप ही आ जाया करती है |और यह बस वहि हुआ| यहाँ मैं अपनी बात नहीं कर रहा हूँ क्योंकि मुझे तो बचपन से ही शायरी करने का शौक था| मगर मेरे बाकी "एच ग्रुप" के लोग भी शायरी करने लगे थे,जिसका मुझे बड़ा आश्चर्य होता था | अभी आपको दो दिन पहले की ही बात बताऊ जैसे ही हमने शालिनी और खुशबु को विदा किया उनके जाने के बाद ह्रदेश और अमिताभ के सन्देश पड़ कर तो ...