"जिए तो जिए कैसे कहे? कैसे रहे? क्या करे ? .......जिन्दगी के कुछ उलझन भरे सवाल!!!!!!!!!!!!!
जब बुरा चलता है ना तब अच्छी बाते और अच्छे लोग बहुत अच्छे लगते है ...क्योंकि शायद अच्छे लोगो से अच्छी बाते करने से कम से कम अच्छे समय के आने का अहसास तो हो ही जाता है |खैर छोडिये इसे बिगत दिनों से मेरे साथ कुछ खास अच्छा नहीं हो रहा है |और में बार- बार किश्मत को कोसता रहता हूँ या फिर भगवन को पर क्या करूँ बुरे वक्त की यही तो बुरी बात है की सिर्फ बुरा ही बुरा बुरे वक्त में सोचने में आता है |और मैं विगत दिनों से इसी उधेड़बुन में लगा हूँ की आखिर कैसे जिन्दगी को दिशा दी जाये और इस बुरे वक्त से निकला जाये और इसके लिए मैंने काफी चिंतन या कहे विचार किया है और बहुत सारे लोगो से बात भी की है पर शायद कुछ समाधान नहीं निकला अपितु समस्याएँ और पनपती गई है इस समय को आप पनौती वाला समय भी नाम दे सकते है |बहुत सारे लोगो ने बहुत सारी बाते कही और बहुत सारे समाधान देकर खुद को सलाह विशेषज्ञ या परोपकारी भी मानने लगे होंगे और मुझे पर हंस भी रहे होंगे |पर अब जब जिन्दगी ही रोज़ जिस पर हसती हो या मज़े लेती हो उसे लोगो की हसी सुनाई नहीं देती |
पर कहते है ना जो होता है अच्छे के लिए होता है और शायद मेरे साथ कुछ ऐसा ही हुआ ...क्योंकि सच बताऊ बुरा वक्त दुनिया का सबसे अच्छा गुरु और परखी है | क्योंकि वो इतना कुछ आपको सिखाता है की अच्छा वक्त शादियों में नहीं सिखा सकता और बुरा वक्त जितना भी सिखाता है उसे आप ना चाहते हुए भी सीखते है और इस हद तक की ताउम्र आप उसे भूल नहीं सकते और मैने भी सच मै बहुत कुछ सिखा है इसलिए कहते है जिसने जितनी ठोकरे खाई है उसने उतनी तरक्की की सीडी चड़ी है और ...हर सफलता की शुरुवात संघर्ष से होती है जिसे हम बुरे वक्त ना नाम दे देते है ....पर शायद वो बुरा वक्त नहीं परीक्षा का वक्त होता है ऐसी परीक्षा जिसमे आपको खुद से खुद को साबित करना होता है क्योंकि वहि परीक्षा देने वाले भी आप होते है और देने वाले भी आप |इसलिए कहते है जिसे अपने आप से बाते करना आ गया उसे दुनिया की कोई बात परेशान नहीं कर सकती |
कहते है मौत तो नाम से बदनाम है वर्ना जिन्दगी भी कम दुःख नहीं देती पर शायद मुझे नहीं लगता की हमने कभी जिन्दगी को समझा है क्योंकि हमारी समझ पता नहीं कैसी है की समझने लायक चीज़ को हमने कभी समझा ही नहीं और बाकि दुनियादारी की लगभग सभी चीजों को समझ लिया इसलिए वो जिन्दगी हमे दुःख देती है या कहें परेशान करती है ये सब धर्म हमें जिन्दगी समझाने के लिए ही होते है |जिन्दगी हमेशा हमसे बहत सारे सवाल पूछती है की आखिर जिन्दगी कैसे जिए क्यों जिए और उनका समाधान शायद हम कभी नहीं खोज पाते और फिर कहते है की जिन्दगी दर्द बहुत देती है असल में जिन्दगी दर्द नहीं हमारी नासमझी ही कही ना कही हमको दर्द देती है और इसका अहसास हमे उस बुरे वक्त में ही मिलता है जिसकी हम बात कर रहे है |
सच में मेरा यह सब लिखने का औचित्य महज इतना है की बुरे वक्त को भी जिन्दगी में उतनी ही जगह दे जितनी अच्छे वक्त को हम देते है फिर देखिये जिन्दगी कितनी हसीन होती है और अपनी जिन्दगी की समस्याओं को आप खुद ही समाधान करे तो शायद ज्यादा अच्छा होगा क्योंकि बाद में आपकी समस्या सुनने वाला आपकी समस्या किसी और को सुना कर आपकी समस्या और बड़ा देगा असल में बात बस इतनी है की हम ...समझते कम है और समझाते ज्यादा है इसलिए सुलझते कम है और उलझते ज्यादा और फिर जिन्दगी की पिक्चर का क्या हाल होता है उसे आप समझ ही सकते है |खैर जिन्दगी जब भी आपको बुरे वक्त के दर्शन कराये तो खुद को खुश किश्मत समझिये क्योंकि जिन्दगी आपको कुछ सिखाना चाहती है उसे आप दिल लगा कर सीखिए और बुरे वक्त में भी अच्छा होने का आनन्द उठाइए |जिन्दगी ऐसी हो जाएगी की आप सोच भी नहीं सकते |मेने अपनी बुरे वक्त में यही किया और मेरा मानना है बुरा वक्त विराम का होता है और अच्छा वक्त विस्तार का तो विचार कीजिये और जीवन के हर पल का आनंद उठाइए |
मैने अपने बुरे वक्त में बहुत कुछ सिखा और इस दरमियाँ मुझे चार्ली चेपलिन की वो बात वहुत अच्छी लगी की दर्पण मेरा सबसे अच्छा दोस्त है क्योंकि जब कभी में बुरे वक्त से गुजरता हु और रोता हूँ तो वो मुझ पर हँसता नहीं है "इसलिए यह बात सही है आपकी जिन्दगी है आपको जिनी है आप का अच्छा बुरा आपके हाथ है तो खुद पर खुद से भी ज्यादा भरोसा रखिये जिससे खुदा को भी लगे की खुदा की खूबसूरती यही है |
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