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शिक्षक दिवस पर गुरुजनों को समर्पित !!!!!!

 जीवन  शुरू  तुमसे  तुम मे ही  विलय  होता रहे गुरुवर की शरणा तो  मुसफ़िर पथ नहीं खोता इन्ही की राह पर  चल कर हमें जीवन बनाना है इसी बुनियाद पर यारो चलता ये जमाना है ||१|| .तू ब्रम्हा तू ही विष्णु  तू ही महेश बन जाता रहे गुरुवार की शरणा तो कंकर शंकर बन जाता तू तम दूर करता है जलाकर ज्ञान की ज्योति जो तेरा आशीष पा जाता   पतित वो  पावन हो जाता||२|| सभी निर्वाण और विध्वंस गुरु की गोद में खेले प्रभु से वह मुखातिब  हो गुरु के साथ जो होले यही वो मेघ है जो ज्ञान की वर्षा सदा करते ये बरसे तो नहा लेना ये बदल जाने वाले है ||३||

युवाओं सब हाथ तेरे सब साथ तेरे ...हंगामा नहीं हालात बदल तू

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                          बहुत दिनों से कुछ लिखा नहीं उसका कारण यही रहा की मेरे दोस्तों  ने मुझसे कहा की तुम लिखते तो अच्छा हो परन्तु बहुत ज्यादा लिखते हो .......इतना टाइम भी  नहीं है पड़ने का   और दूसरी बात पता नहीं कितना घुमा फिराकर लिखते हो .......समझ ही नहीं आया क्या कहूँ क्या न कहूँ इसलिए बस बिना कहे ही रह गया ....जरुरत भी नहीं समझी  कुछ कहने की शायद  मेरे कहने से कुछ फर्क भी नहीं पड़ता ......पर इसमें  मेरी क्या गलती है |मुझे लगा की शायद जो प्यार मोहब्बत की  उलझी हुई बातें समझ जाते है और अपनी प्रयासी के साथ घंटो फोन पर बात कर सकते है ....उन्हें देश के बारे बताने की कोशिश करूंगा तो शायद वो समझ जाये ......पर शायद  अब वो फितरत युवाओं की नहीं रही ....उन्हें बस अपने आप से मतलब है ...हा ऐसी बात नहीं वो देश के लिए कुछ नहीं कर  सकते  बहुत कुछ कर सकते है  अभी भीड़ को बुलाये नारे लगवाइए सब तैयार ...