भोपाल गैस त्रासदी की वो कलि रात........................
उस काली रात के बारे में सोचता हु तो सहम जाता हूँ चाह कर भी अस्को को अपने न रोक पता हूँ बड़ी मनहूस थी वो रात क्यों उसे सीने बिठा रखा है यही बस सोच-सोचकर नींद से में जग उठता हूँ न जाने कितने मासूमो को लीला था उस काली रात ने तडपता देखकर उनको आज में सहम उठता हूँ इतनी लम्बी नींद सोये सूरज न कभी बो देख पाए सोचकर हालत उनके दर्द से करह उठता हूँ कभी न हो ऐसी मनहूस रात इस धरातल पर यही बस दुया हर दम खुदा से किया करता हूँ