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Showing posts from February, 2011
कोशिस करता हु की हमेशा अपने अपने आप से ही बाते करता रहू पर जब भावनाओ का आवेग बड जाता है, तो शब्दों के द्वारा उन्हें बताने का प्रयास करता हूँ ! में बास्तव में अपने आपको ही खोजने की  कोसिस कर रहा हूँ !                          "खोजता फिरता हु ये यार अपने आपको आप                             आप ही खोया आप ही मंजिल हु में " 

!!!!!!!!!!!!!!!!!!!जब सत्य की आंधी चलती है!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

                               कहते है सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नहीं यह बात मिस्त्र में हुए क्रन्तिकारी              आन्दोलन  से सही भी साबित  हो गई मिस्त्र की क्रांति ने दिख दिया की जब जनता बोलती है  या जनता  जब        जगती है तो दुनिया  का कितना भी शक्तिसाली साम्राज्य क्यों नहो या कितना ही बड़ा तानशाह क्यों  न हो सभी    की जड़े  हिल जाती है क्युकी सत्य की  एक आंधी असत्य के पहाड़  को दहा  देती है! जरूरत होती है तो बस जनता की एकजुटता की बाकि तो सब कार्य अपने आप ही  हो जाया करते है मिस्त्र के क्रन्तिकारी आन्दोलन ने दुनिया को दिखा दिया की कैसे अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष  किया जाये भले ही क्रांति के दोरान मिस्त्र को बहुत सी समस्यों का समना करना पड़ा हो उसके  कुछ लोगो  को अपने प्राणों की आहुति क्यों न देनी पड़ी हो  पर संघर्स के बाद जो सूर्य  उदित होता है तो ह...

प्रेम का अहसास

प्रेम सम्वेदनाओ भावनाओ का संगम  जिसमे सिर्फ मीठे अहसास  प्रति क्षण अतर्मनमें  में उमड़ते है  खट्टी मीठी यादो के साथ  प्रेमी ही सारा जहाँ लगता ह सारा ब्रम्हांड ऐसा प्रतीत होता है  मनो प्रेमी में समां गया हो  प्रेम या मुहब्बत में बस  प्रेम होता वहा सब इच्छाए  मह्त्वाकंछाये और सपनों  में बस प्रेम वह प्रेमी ही रहता है  प्रेम एक ऐसा अहसास है उजो  आत्मा से आत्मा का मिलन  करता है ऐसा लगता है  मानो परमात्मा का सरोकार  हो रहा हो क्यूकि धयान का  धेय और  ज्ञान का गेय  वंहा सिर्फ प्रेमी ही होता है  ऐसा लगता है मेरा अस्तित्व  उसमे ही स्म जाये और हम सिर्फ एक एक और बस एक हो जाये !!!!!!