आज का युवा ......सिगरेट शराब और सर्वनाश..... के बीच मौत का खेल

                        कहा जाता है की किसी भी राष्ट्र  का विकास वहां के युवाओ पर निर्भर करता , है जिस देश के युवा जितने ज्यादा  जागरूक  जोश जूनून और जज्बे से भरे होंगे उस देश की विकास दर  भी उतनी ही अधिक    होगी , इसलिए कहा जाता है युवा शक्ति राष्ट्र शक्ति होती है ....युवा  राष्ट्र  के लिए प्राण वायु है इसलिए युवाओ की जिम्मेदारी आज बहुत अधिक  बढ गई है पर शायद  इस बात का भान युवाओ में कम ही देखने को मिल रह है और आज के युवा उस राह  पर चल रहे है जिसका अंत काफी दर्द नाक और भयावह है  .....कहते है एक जिन्दगी को तवाह करने के लिए एक बुरी लत ही काफी है और शायद  वाही बुरी लत आज के युवाओ में लग गई है ...पाश्चात्य देशो की ऐसी आंधी चली  लगी की लगभग आज पूरा का पूरा युवा वर्ग उस लत  ग्रसित है   धुम्रपान सच में एक  ऐसा मीठा जहर है जो स्वाद   तो अमृत का देता  है परन्तु  काम कुछ और ही करता है, ना जाने कितनी  जिन्दगिया धुम्रपान का अजगर निगल गया है और कितनी और निगलेगा खुदा ही जाने ....
                                        आज यदि हम इस लत से ग्रसित लोगो की बात करे तो उन्हें सिगरेट शराब पीना कुछ बुरा कार्य करने जैसा लगता ही नहीं यह तो उनके स्टेटस  को बनाये रखने का जरिया है ...और उनकी पर्सनालिटी को बनाये रखता है सच में इससे बड़ा नशा सिगरेट  और शराब  का क्या होगा  जिसके  सामने जिन्दगिया बोनी लगने लगे और उस नशे के लिए इतना मजबूर हो जाये की मौत की कीमत पर भी चुकाना पड़े तो भी उसे उस नशे से कोई परहेज नहीं सच में आज के युवाओ की भी बड़ी अजीब फितरत हो गई है की वह आज टाइम पास को जिन्दगी और जिन्दगी को टाइम पास समझने लगे है सच में उनकी समझ समझ से परे है !
                           सिगरेट शराब के नशे ने उन्हें इतना मदहोश कर दिया है की उनके आँखों पर एक ऐसा चश्मा चढ़  गया जिसमे सिर्फ सिगरेट और शराब जरुरी नजर आती है ...नशे की हिमाकत इतनी की लोग अपना अच्छा  बुरा भूलकर उसका सेवन कर रहे है वो भी किसी भी कीमत पर एक गरीब आदमी जो की बमुश्कित दिनभर में १०० रूपये कमाता है वो अपना आधा पैसा धुम्रपान और शराब में खर्च कर देता है ...यही हाल अन्य लोगो का भी है जिन्हें इससे कुछ भी फर्क नहीं पड़ता की कितनी जान और मॉल की हानी इससे हो रही है उसे इससे  कोई परेशानी नहीं है! क्यूंकि  वह तो पड़े लिखे लोग ही है जो अपने को बुद्धिजीवी मानते है  उनका तो कहना है की धुम्रपान करने से कुछ नहीं होता और होता भी है तो  मर ही जायेंगे इससे ज्यादा क्या होगा  और मरना तो सबको एक न एक दिन है ही ...तो फिर सिगरेट या शराब पिने में इतना सोचना क्यों ..  पर शायद  उन्हें रोज रोज का मरना दिखाई नहीं देता खुद तो नशे से हर  क्षण मर ही रहे है उसके साथ
साथ उस परिवार और  मित्र भी रोज रो रो कर या कहे मर मर कर जिन्दगी जी रहे है और यदि इतना होने पर वह  इसी को वह जीना कहे  तो उनके अभाग्य की महिमा तो नहीं कही जा सकती !
                      क्या मेकाले ने  शिक्षा का उद्देश्य यह ही बताया था की  वह  इन्सान से इन्सनितात छीन  ले और इन्सान को इतना भावनाशुन्य  या संवेदनाहीन बना दे की वह अपने भले की भी न सोच पाए ......यदि हम बुद्धिजीविओ की बात करे तो क्या उन्हें सिगरेट या शराब  से कोई हनी  या समय पैसे की बर्बादी नजर नहीं आती ...सिगरेट का पैकेट और शराब की बोतल बस चीख चीख कर कहती ही नहीं है की उसका सेवन करना स्वस्थ के लिए हनी कारक है बाकि तो समझदारो को समझाने लायक सब लिख लिख कर समझा देने की कोशिश करती है  यदि दुम्रापन और शराब पीने  करने वालो वह भी दिखाई न दे तो    तो न्यूज़ पेपर में हमेशा जो world  health organization की रिपोर्ट तो 
   पड़ी ही होगी की हर साल लाखो लोग धुम्रपान और नशे के करण मरते है और जहाँ २००० में इससे मरने वालो की संख्या १.२२  बिलियन लोग थे आज उनकी संख्या दुगनी व तिगुनी हो गई है और दिनों दिन जिस तरह उसका  सेवन करने वालो की संख्या बढ रही है उसी तरह  इससे मरने वालो की संख्या भी दिनों दिन बदती जा रही है जो की चिंतनीय  विषय है !
                   जब कभी किसी मेले में मौत का  कुए  का खेल देखने जाया करता था, तब लगता  था की लोग जानबुजकर  क्यों जिन्दगी  के साथ खिलवाड़  कर रहे है पर शायद  उसमे तो वो सुरक्षित रहते हुए यह सब कार्य करता  था पर जब धुम्रपान करने वालो की तरफ और खासकर युवाओ को इसका सेवन करते हुए देखा जाता है तब बड़ा आश्चर्य होता है की इनके  मौत कितने  पास खड़ी है और यह कितने निशफिकर  है और जान बुझकर मौत को निमंत्रण दे रहे है और सिगरेट और शराब की मौत वरमाला लिए खड़ी है क्या यही आज की समझदार और बुद्धिजीबी पीड़ी का यथार्त  या सच है और हद तो इससे ज्यादा तब हो जाती है जब लडकियों का आकर्षण भी धुम्रपान की तरफ देखते वह भी बड़े शोक और मौज के साथ इसका उपयोग किये जा रही है  और इसका उन्हें तनिक भी अपराध बोध नहीं है सच में इससे बुरी इस देश की दुर्गति क्या होगी की जहा उसकी संस्कृति को  विश्व की सबसे अच्छी  संस्कृति समझा जाता था !आज उस देश के ही युवा उसे धुएं  का छल्ला बनाकर उड़ा रहे है और शराब के नशे में मदमस्त होकर दम मरो दम की तर्ज पर भारतीय संस्कारो और संस्कृति  की होली जला रहे है
               सच में   इस धुम्रपान और शराब की मदहोशी ने इस देश का चीरहरण कर दिया है और पता नहीं इसका सेवन करने वाले कब काल कवलित हो जायेंगे पता नहीं ...आज भले ही युवा दुनिया की चकाचोंद को देख कर नशे को अपनी आदत बनाते जा रहे हो और यह उनके लिए मॉडर्न होने के लिए उन्हें जरुरी लगता हो पर सच में कालीन के नीचे की सच्चाई कुछ और ही है  सच सिर्फ यही है की सिगरेट और शराब ने हमेशा सर्वनाश  ही किया है और इस बात का गवाह इतिहास है ..महात्मा गाँधी  ने भी कहा था की जो देश मदिरा पान  के व्यसन का शिकार हो गया है ,उसका सर्वनाश  निश्चित है इतिहास में उसके प्रमाण मोजूद है की उस दुर्व्यसन में फसने वाले राष्ट्र  नष्ट हो गये है  !
          देश के युवाओ से बस यही अपील है की अपनी तरक्की में इतना समय लगाये की नशा करने  की जरुरत ना पड़े क्युकी महान अविष्कारों का जन्म होश में हुआ है ना  नशे की मदहोशी में....  यह दुनिया बहुत सुंदर  है  और वह सिर्फ आपके कारण तो बस जागिये और सोचिये की वह नशे का  शोक ही क्या जो  अपनों को अपनों से जुदा  कर दे और जिसका जिसके सेवन की कीमत मौत से चुकानी  बड़े इस सिगरेट शराब को बुरे सपने की तरह भूल जाइये और जीवन का आनंद  उठाइए....
                                                               जीवन का हर पल सुन्दर है
                                                                 
सुन्दरता को खोये क्यों
                                                                  
   जिन लम्हों में हस सकते है
                                                                        उन लम्हों में रोये क्यों """"

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