गणतंत्र दिवस और कुछ कही कुछ अनकही बातें ....सच के आइने में !!!!!!!!
हमारी आजादी से अब तक वक्त ने बहुत कुछ करवटे बदली है. और भारत ने भी बहुत कुछ ऐसा किया है| जिसने उसे दुनिया के सामने धूमकेतु की तरह विश्व पटल पर मंडरा रहा है| और भारत ने इतना कुछ इन विगत सालो में कर दिखाया है की सारी की सारी दुनिया भारत का लोहा मानने लगी है| जहाँ भारत को तीसरी दुनिया का देश कहा जाता था| आज वहीं भारत ऐसा तारा बन गया है जो सम्पूर्ण विश्व में चमक रहा है और वह भी हर एक क्षेत्र में चाहे वह खेल हो उद्योग राजनीती मनोरंजन हो हर कहीं अब बस भारत का ही सिक्का चलता है|भारत अब बस भारत ही नहीं रह गया है| वो अब इंडिया हो गया है नई सोच नया जोश और नई पीडी और युवाओं के उफान के साथ अब हम वो माद्दा रखते है , की सरे विश्व को दिखा सके की हम किसी से कम नहीं अब हम दुनिया से नहीं है दुनिया हमसे है |क्युकी अब हमने वो सब विकसित कर लिया है जो एक विकसित या विकासशील देश के पास होना चाहिए| अब जहा हम वस्तुओं का आयात करते है, वहीं निर्यात करने में भी पीछे नहीं है .हमने विश्व को नई दिशा दिखाई है. और अभी बहुत कुछ दिखाना बाकि है क्यूंकि है| अभी तो बस शुरुवात है सूरत दिखानी तो अभी बाकीं है |
हमारे देश की यदि कोई सबसे बड़ी शक्ति है| तो हमारी युवा शक्ति है. जो शायद दुनिया की सबसे बड़ी युवा शक्ति होगी| वह भी प्रतिभाओ से भरे और होनहार युवा जिनमे इतनी लायकात है . की वो विश्व की तक़दीर और तस्वीर बदल सकते है |और हमारे युवा बस भारत में ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में भारत का नाम रोशन कर रहे है| अभी कुछ दिनों पहले खुद यह बात अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने स्वीकार की और अमेरिका के युवाओं से कहा की यदि अभी भी वह जागृत नहीं हुए और पड़ी के प्रति गंभीर नहीं हुए तो सब बड़ी -बड़ी और प्रतिष्ठित नोकरिया भारत के युवाओं के पास होंगी क्यूंकि जिस लगन और समर्पण से वह कार्य करने की और अग्रसर है| उससे तो यही लगता है की अब सब क्षेत्रो में भारत का ही साम्राज्य होगा |अब वक्त बदल रहा है और वक्त के साथ हमारे देशवासियों की सोच में भी परिवर्तन आ रहा है | जहाँ आज से 50 साल पहले तक हमारे देशवाशियो का समय बस रोटी कपडा मकान को इकठ्ठा करने में ही बीत जाया करता था| वहीँ आज हम दिनोदिन नये सृजन या अविष्कार कर रहे है. और वह भी ऐसे जिसे सारी दुनिया मेड़े की तरह टकटकी लगाये देख रही है..और सोच रही है कि" हाउ दिस पोसिबल l "पर अब हमने असम्भव को संभव बनाना सीख लिया है| अब तो हमारे तरक्की के पंख लग गए है. अब बस दुनिया हमारी उड़न देखेगी |
पिछले ६३ सालो में हमने बहुत कुछ नया किया है, शिक्षा, मनोरंजन' व्यापार विज्ञान; खेल सब क्षेत्रो में पर आज भी कहीं - कहीं भारत की कुछ बहुत ही बुरी स्थिति है|जहाँ शायनिग इण्डिया कहकर पुरे भारत को चमकाया जा रहा है| वहीं एक ओर कालीन के नीचे की तस्वीर कुछ ओर भी है जिसे देख कर शर्म से हमारी आंखे झुक जाती है| की आज भी इस देश में करोड़ो लोग भूखे सोते है. और न जाने कितनी ओरते और बच्चे कुपोषित है |हम जहाँ विश्व को अपनी विजय गाथा सुना रहे है वहीं यह दुखती नश हमे रोज रोज रोने पर और शर्म से सिर झुकाने पर मजबूर भी कर रही है| सच में इस देश में दो भारत बसते है एक तो नया भारत और एक पुराना भारत जो कभी नहीं बदला जो आज भी ५० सालो से वेसे ही जिन्दगी जी रहा है जैसे पहले जिया करता था .और आज भी बहुत से लोग पेट भर के खाना नहीं खा पा रहे है .और शायद जब तक ये अज्ञान अन्धविश्वास और भ्रष्टाचार की उर्वरकता गरीबी के खेतो में डाली जाएगी या रहेगी तब तक शायद इसका दूर होना भी संभव न हो पाए |
खेर यदि थोडा भी ध्यान चुनावो के अतिरिक्त यदि सरकार देती है ओर यदि हम ओर आप जो समर्थ है वो थोडा सा संवेदनाओ ओर भावनाओ के साथ एक दुसरे कि मादा के लिए हाथ बढ़ाते है |तो शायद इस देश में न तो कोई भिखारी दिखाई देगा न ही कोई आतंकवादी या चोर लुटेरा बन पायेगा बस हम पेट भरे न कि पेटी भरने के लिए गरीबो का पेट काटे ओर हम सब मिलकर भारत का भाग्यविधाता बने तब भारत कि दशा कुछ और होगी और जो लोग आज भी पोषण और शिक्षा के अवसरों से लोग वंचित है| तो वह भी कुछ कर पाएंगे और हमारे देश का नक्शा ही कुछ अलग होगा बस जरूरत है तो लोगो को जगाने की उन्हें कर्तव्य बोध ओर सहानुभूति देने की और उन्हें अवसर प्रादन करने की बस फिर तो करलो दुनिया मुठ्ठी में और हम बड़े और सब बड़े की तर्ज पर सारा भारत एक सुर में काम करने लग गया तो भारत को कोई नही रोक सकता|
... .भारत को जहा "भारत भाग्यविधाता कहा जाता था वह बात भी चरितार्थ हो जाएगी भले ही दुनिया में कुछ राष्ट्र हम से आगें निकल गए है| पर शायद उन्हें पता नहीं की सामान्य इमारते तो जल्दी बन जाया करती है पर पिरामिड बनाने में वक्त लगता है. और भारत आदर्श रूपी पिरामिड बनने जा रहा है जिसके पीछे सारा का सारा विश्व चलेगा और हम हर साल २६ जनवरी कोइसी प्रण के साथ संकल्पबद्द होंगे की भारत का नाम दुनिय के हर कोने में हो और यही गीत गुनगुनायेंगे लो रोको तूफान चला रे नई तरक्की और राह बनाता.. .....
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