वो गोलियां आज तक इजाद नहीं हुई, बमों में इतनी ताकत नहीं कि वो हौंसला तोड़ सकें

बस्तर बेहद खूबसूरत है, छत्तीसगढ़ की सुंदरता बस्तर है, असल में बस्तर को आप छत्तीसगढ़ की आत्मा भी कह सकते हैं, ये जो तस्वीर आपको वॉल पर दिख रही है, यह एक करारा तमाचा है उन कायर नक्सलियों को, लाल आतंक फैलाने वालों को जो सोचते हैं कि उनके धमाके हमें खमोश कर सकते हैं, दो दिन पहले दंतेवाड़ा नक्सली हमले में मारे गए विधायक भीमा मंडावी का परिवार इस खूबसूरत, ताकतवर फोटो में दिख रहे हैं, वे आज मतदान करने गए थे, बेटे की चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई कि वे उनके बेटे के हत्यारों को कारारा जवाब देने वोट करने पहुंचे।

यह उन लोगों के लिए एक तरह से सबक है, जो यह सोचकर वोट करने नहीं जाते की भीड़ होगी, लाइन लगी होगी, मुझे क्या फायदा, मेरे वोट देने से क्या होगा। ऐसा सोचने वालों को इस हौसले से भरी तस्वीर को बार-बार देखना चाहिए क्योंकि ये जान पर खेलकर वोट देने पहुंचे थे, बेटे को खोकर वोट करने पहुंचे थे। नक्सली देख ले उनकी दहशत और कायरानापन से बस्तर रुकने वाला नहीं है, न ही उन लोगों के आरोपों से जो इनकी हिमायत करते हैं।



यह लड़ाई लोकतंत्र बनाम गनतंत्र की है, बुलेट बनाम बेलेट की है, आईडी कार्ड बनाम IED की है, तुम कितना भी जोर लगा लो, हम रूकने वाले नहीं हैं, हिंसा से कभी कोई जंग नहीं जीती जाती, किसी भी समस्या का हिंसा हल नहीं हैं, जो ऐसा सोचते हैं और ऐसे लोगों का समर्थन करते हैं वे भी गुनाहगार हैं, वे भी याद रखें इस देश की शिराओं में अंहिसा का लहू बहता है, तुम कितनी भी कोशिश कर लो हम हम न रूकेंगे, न झुकेंगे, जैसी भाषा में सवाल होगा उसी भाषा में जवाब भी देंगे।

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