मैं निराश ........


वो चुपचाप सा अहसास 
वो आस वो विश्वास  
वो कोई अपना सा खास 
जिसे पाने का  हो आभास 
जाने कब वो पल आयेगा 
जब सब कुछ सिमट कर 
उसमे ही कही खो  जायेगा
और जिसे खोजने का मकसद 
भी एक दिन पूरा हो जायेगा 
वो है कौन  यह सवाल भी 
दिल में हलचल बचाएगा 
पर क्या आप सोचते है 
की ऐसा कोई इस  दुनिया में 
हमको ऐसा कोई  मिल पायेगा 
शायद नहीं! नहीं! नहीं! 
वो आस वो विश्वास 
और आभास  यथार्त में तो 
सबकुछ है बकवास 
क्योंकि  सब जतन करने पर भी 
न जाने कब से अब तक 
हूँ मैं  निराश मैं  निराश मैं  निराश !!!!!!
                            ABHI AVYAKT  

Comments

Popular posts from this blog

विश्वास में ही विष का वास है

मानव जीवन का आधार शुद्ध आहार शाकाहार

गणतंत्र दिवस और कुछ कही कुछ अनकही बातें ....सच के आइने में !!!!!!!!