पद्मावत पर सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला नतमस्तक कर देता है
पद्मावत फिल्म की रिलीज को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है वो सच में मिसाल है। सियासी खिचड़ी पकाने के लिए राज्य सरकारें संविधान को ताक पर रखकर लोगों को गुमराह करती हैं। मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा सरकार ने अपने-अपने राज्यों में सुरक्षा कारणों का हवाला देकर फिल्म बैन कर दी। कोर्ट सख्त हिदायत देते हुए कहा है कि कानूनी व्यवस्था सरकार का काम है फिल्म रिलीज होगी। कानून को कैसे बनाकर रखोगे ये आपका काम है। सच में इसी तरह से साहसिक फैसले होने चाहिए। बात सिर्फ फिल्म की नहीं है। आरक्षण, तीन तलाक, हज सब्सिडी, राम मंदिर जैसे उन तमाम मुद्दों की है जो वोट बैंक के कारण हमेशा अनदेखा कर दिए जाते हैं। सरकारें तो इन मुद्दों को खाद देती है कि जब-जब चुनाव आए वे इस वटवृक्ष बनाकर लोगों को गुमराह कर सकें। ऐसे में न्याय के यही मंदिर तो उम्मीद होते हैं जो सरकारों के कान खींचकर गलत को गलत कह सकते हैं क्योंकि जनता तो सिर्फ वो प्यादा है जिसे तख्त पर पहुंचने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। फिर घी में मक्खी की तरह पांच साल तक फेंक दिया जाता है।हम अब धर्म,जाति, सम्प्रदाय से ऊपर उठना होगा। जो भी हममें गलत है उसे गलत कहने की हिम्मत दिखानी होगी। तभी तो बदलाव होगा। तब ही हम खिलौने से हथियार बन पाएंगे। अब ये सियासी लॉलीपॉप हमें नहीं चाहिए। हमें वो राजनेता चाहिए। जिन्हें जाति देखकर न सीट दी जाए न ही टिकट। वे सिर्फ देश की सोचें। जनता की सोचें। तभी देश बदलेगा। साथ ही हम भी थोड़ा बदलाव को स्वीकार करें। विश्वास रखें। उम्मीद जिंदा रखें। परिवर्तन होगा। जीवन बदलेगा। अच्छे दिन आएंगे
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