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Showing posts from October, 2012

दो पहलू जिन्दगी के .........

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             बहुत कहने सुनने में आता है की हर किसी की जिन्दगी के दो पहलू हुआ करते है शायद हा ! एक पहलू जितना सुंदर होता है दूसरा उतना ही भयाभय पर दोनों जरूरी है |क्योंकि  पहले पहलू की सुन्दरता दुसरे की वीभत्स्यता के कारण  ही तो समझ आती है |सुख का  अनुभव भी दुःख के अनुभव के बाद ही आता है ,क्योंकि असल में कमी का अहसास ही वस्तु को कीमती बना  देता है |खैर यहाँ बात  जिन्दगी के उन दो पहलुओं की करनी है जिसे हमने  न सिर्फ सुना पड़ा या बस देखा नहीं  है जिसे जिया है या कहू तो जी रहे  है  |असल में पड़ा सुना उतना यथार्त का रूप अख्तियार नहीं करता जितना वो होता है, क्योंकि हमें पड़ी सुनी बातो पर भरोसा ही नहीं होता उसे सिर्फ हम कहने सुनने या फिर ज्ञान देने के लिए ही उसका  उपयोग  करते है ,अमल तो बस उन्ही का किया जाता है जिसे हमने जिया है  है या जिसे अनुभव  किया है |        जिन्दगी के दोनों पहलुओ में चकाचोंध बहुत है ,हसी ख़ुशी गम भी...

पूछता होगा वो "''''''''''

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पूछता होगा वो क्या कसूर है मेरा क्या मेरे जिस्म को काटकर  पेट भरता है तेरा में भी तो वहि हूँ जो तू है दुःख दर्द प्रेम  का अहसास खुदा का अस्तित्व मुझमे भी कही है सबकुछ तो वहि वहि  और वहि है  फिर क्यों उसके नाम पर सिर्फ  मैं  मैं और मैं  ही   तेरी आन शान बलिदान के लिए  ही होता हूँ  कुर्बान !!!!

जरुरी भी तो है """"""

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वो उन्माद और अल्हडपन अब नहीं रहा ऐसा नहीं है की इच्छाएं न हो सब है पर वो वक्त नहीं वो अपने नहीं जिन्हें अपना कहा जा सके हा तथाकथित अपने तो बहुत है पर वो अपने नहीं जो अपने होते तो थे कपडे और चेहरों से परे शोहरत और पद से परे शिकायत किसी से नहीं है हा कभी होती भी है तो वक्त के मत्थे मड देता हूँ क्योंकि वो सब अपने तब तक ही जब तक छद्म हसी और दिखावटी सहानुभूति और साथ है खैर जो कुछ भी है जिन्दगी का हिस्सा ही तो है जरुरी हो या मज़बूरी बात अलग है ...                    "अव्यक्त "

सवाल जवाब

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"सवाल सवाल सवाल बस सवालों का जंजाल है शायद जिन्दगी  हर दम हर पल बस सवाल कभी नहीं मिलता उत्तर मिलता भी है तो हजारों सवालों के जन्म के साथ खोजता हूँ में भी उन्हें हर जगह हर  समय जरुरी है क्योंकि नहीं मिलने पर मन कचोटता है बेचैन होता है परेशान करता है लेकिन लेकिन लेकिन मिल जाने पर भी तो यही सब कुछ  करता है मन अब लगता है सवालों को नहीं सवाल खड़े करने वाले को खोजना होगा ???????? उसी में सवाल उसी में जवाब छुपा होगा ,फिर न तो  जबाब होंगे और न ही कभी न ख़त्म होने वाले सवाल  सवाल  और  सवाल !!!!!!!!!!!!!!!

ख़ामोशी के सवाल

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खामोशियों की आहट बहुत आती है ख़ामोशी के साथ ह्रदय का रक्तचाप मंथर होता जाता है उसे महसूश करके धडकने अंतहीन धडकती है कुछ अव्यक्त सा अहसास करती हुई बहुत सारे सवाल खड़ा करती है वो ख़ामोशी अब समझ यह नहीं आता की उसका उत्तर कैसे दूँ खामोश हो कर या बाचाल  होकर !!!!!!!!

राजनैतिक महाभारत ......जीत किसकी ....क्या होगा अन्ना -केजरीवाल की पार्टी का !!!!!!!!!!

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      महाभारत तो देखी होगी सभी ने न भी देखो हो सुनी तो जरुर ही होगी प् असल में देखने और सुनने देखने की जरूरत क्या है सभी की जिन्दगी में कोई न कोई महाभारत  तो चल ही रही है .....लेकिन यहाँ में पूरी महा भारत की बात नह्गी कर रहा हूँ में तो सिर्फ  कृष्ण अर्जुन की  महाभारत में भूमिका की  बात कर रहा हूँ | जब कभी महाभारत देखता हूँ तो हमेशा यही बात दिमाग में आती है  की   श्रीकृष्ण इतने शक्तिशाली थे पर उन्होंने कभी युध्द क्यों नहीं लड़ा  सारथी का काम करना क्यों चुना ....बहुत सोचने पर एक बात सामने आई की  जो सच में शक्तिशाली और समझदार होता है वो कभी परदे के आगे के रंगमंच पर आता ही नहीं वो अद्रश्य शक्ति की तरह काम करता  रहता है|और सभी अच्छे बुरे कार्यो का कर्ता धर्ता भी वाही होता है ....युध्द लड़ने  वाला कभी असली युद्धा नहीं होता असली युद्धा तो वाही होता है जो संचालन करता है कभी युद्ध नहीं लड़ता .....हा युध्द चलता जरुर है लेकिन उसके विचारों में वह भी परिणाम के साथ और यही वो  चीज़ है जो उसे अद्रश्य शक्ति बनाती है | ...