दो पहलू जिन्दगी के .........
बहुत कहने सुनने में आता है की हर किसी की जिन्दगी के दो पहलू हुआ करते है शायद हा ! एक पहलू जितना सुंदर होता है दूसरा उतना ही भयाभय पर दोनों जरूरी है |क्योंकि पहले पहलू की सुन्दरता दुसरे की वीभत्स्यता के कारण ही तो समझ आती है |सुख का अनुभव भी दुःख के अनुभव के बाद ही आता है ,क्योंकि असल में कमी का अहसास ही वस्तु को कीमती बना देता है |खैर यहाँ बात जिन्दगी के उन दो पहलुओं की करनी है जिसे हमने न सिर्फ सुना पड़ा या बस देखा नहीं है जिसे जिया है या कहू तो जी रहे है |असल में पड़ा सुना उतना यथार्त का रूप अख्तियार नहीं करता जितना वो होता है, क्योंकि हमें पड़ी सुनी बातो पर भरोसा ही नहीं होता उसे सिर्फ हम कहने सुनने या फिर ज्ञान देने के लिए ही उसका उपयोग करते है ,अमल तो बस उन्ही का किया जाता है जिसे हमने जिया है है या जिसे अनुभव किया है | जिन्दगी के दोनों पहलुओ में चकाचोंध बहुत है ,हसी ख़ुशी गम भी...