जरुरी भी तो है """"""

  • वो उन्माद और अल्हडपन
    अब नहीं रहा
    ऐसा नहीं है की इच्छाएं न हो
    सब है पर वो वक्त नहीं
    वो अपने नहीं जिन्हें अपना
    कहा जा सके
    हा तथाकथित अपने तो
    बहुत है पर वो अपने नहीं
    जो अपने होते तो थे
    कपडे और चेहरों से परे
    शोहरत और पद से परे
    शिकायत किसी से नहीं है
    हा कभी होती भी है तो
    वक्त के मत्थे मड देता हूँ
    क्योंकि वो सब अपने तब तक ही
    जब तक छद्म हसी और दिखावटी
    सहानुभूति और साथ है
    खैर जो कुछ भी है जिन्दगी का
    हिस्सा ही तो है जरुरी हो
    या मज़बूरी बात अलग है ...
                       "अव्यक्त "

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