रिश्ते इतने कमजोर होते जा रहे हैं कि जरा सी हवा लगते ही दरक जाते हैं, हर कोई हर किसी को शक कि निगाह से देखता है, कहता कुछ नहीं है लेकिन एक जहर मन में बोता रहता है। यह अधिकतर लोगों और अधिकतर घरों की कहानी है। सारा परिवार साथ है, वर्षों से, बात करता है, हंसता है, पिकनिक मनाता है, बच्चे पैदा करता है, सबकुछ जो देखने में सब ठीक की अनुभूति देता है लेकिन अंतरंग में जहर का वो पौधा हर दिन बढ़ता है, उसकी जड़े हर दिन मजबूत होती जाती हैं। अधिकतर लोग ऐसे ही आधा जी रहे हैं और आधा मर रहे हैं, किसी से पूछो क्या चल रहा है वो बस एक ही जबाव देता है ‘ बस जिंदगी चल रही है" सबकी चलती ही है। यहां एक बात समझने लायक है कि सबकुछ ठीक दिखने के बाद भी सबकुछ ठीक क्यों नहीं है, क्यों इतना अविश्वास नसों में जहर बनकर दौड़ रहा है, पति-पत्नी, मां-बेटी, बाप-बेटे, गर्लफ्रेंड-ब़ॉयफ्रेंड सबको देखिए सब एक दूसरे के मोबाइल में नजरें गड़ाए हैं, सब सोशल मीडिया में नजरें गड़ाए हैं कि एक दूसरे का राज पता चले। सब डरे हुए भी हैं कोई हिम्मत नहीं करता कि लो देख लो जो देख ना हो टाइप। मतलब सबके अंदर एक चोर है, जो अविश्वास...
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आपकी टिप्पणियां मेरे लेखन के लिए ऑक्सीजन हैं...कृप्या इन्हें मुझसे दूर न रखें....