चुनावी दौर..बयानों की बरसात..और जीत के लिए जद्दोजहद..
किसी की पंक्तियां हैं..”सरहदो
पर तनाव बढ़ गया है..क्या देश को चुनावी बुखार चढ़ गया है” इन पंक्तियों
का मतलब देर से ही सही लेकिन फिलहाल समझ आ गया..हर जगह होने वाली
रैलियां,पोस्टर.औऱ ट्राफिक जाम देखकर..ऐसा लगता है मानों देश में आपातकाल की
स्थिति पैदा हो गई है..हर नेता अपनी अपनी पार्टी को बेहतर बनाने में बताने मे लगा
हुआ है..दूसरी पार्टी के हर मुर्दे को मुद्दे को जिंदा किया जा रहा है..और आरोप
प्रत्यारोप..फूहड़ राजनीति की चरम पर पहुंचा जा रहा है..क्योंकि खबरों में तो बना
ही रहना है भाई..क्योंकि इस देश में जो खबरों में नहीं वो जिंदा नहीं..इस लिए
खबरों की सुर्खियों के लिए कोई मोदी की तरह नाम बना रहा है तो कोई दिग्विजय कि तरह बदनाम होकर भी सुर्खियां
बटोर रहा है..औऱ ये हाल महज राजनेताओं का
नहीं है.आम आदमी से लेकर खास आदमी सभी इसकी ही जद्दोजहद में लगे है.....
खैर बात यहां चुनावी दौर की करना है ..सारे देश में इस समय महामारी फैली है ..चुनावी महामारी..औऱ एसे हर पार्टी ने फैला रखी है..औऱ हर पार्टी चाहती भी यही है कि सबसे ज्यादा बीमार उसकी पार्टी के हों..इसलिए सब बीमारियां फैलाना चाहता है मिटाना नहीं..उस का ही ये रूप है की जगह-जगह इतने पोस्टर लगाए जा रहे है कि आप उन्हें बिना देखे रह ही नहीं सकते...कुछ होर्डिंगस के बारे में बताना भी चाहूंगा..कांग्रेस का एक होर्डिंगस आपको भोपाम में बखूबी देखने मिल जाएगा..’आई लव माई इंडिया..आई लव माई सिंधिया’ बीजेपी ने भी कसर नहीं छोड़ी उन्होंने तो युवाओं की चुनाव में भूमिका औऱ टेकनोल़ॉजी को देखते हुए ‘शिवराज एप” बना डाला..फिर बीजेपी फिर शिवराज’ के नारे के साथ..बाकी छुटमुट पार्टियां भी दम भरने में लगी है..उन्हें पता है कि वो सारी बसुधा को गिला कर सकती लेकिन कुछ हिस्से को बचा तो सकती हैं..वहीं करने में वो तीसरे मोर्चे की पार्टियां लगी हैं.,
अभी विधानसभा चुनाव होना है..औऱ राजस्थान.मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ तीनों ही राज्यों में फिलहाल तो युध्द जैसे हालात हैं..तो कहीं विकास यात्रा..कहीं जनआशीर्वाद यात्रा, कही कलश यात्रा और कहीं सुराज यात्रा..करके सभी पार्टियां लोगों को बर्गलाने में लगी हैं..लोगों को लोभ लालच, की सौगाते देने का भरोसा देने में लगी हैं..और लोगो भी उसी भरोसे के साथ जुड़ रहे है कि नेता विकास की सौगातों का वादा करेगी औऱ वो उन्हें मिल जाएगी..पर शायद वो भूल गये नेताओं की याददाश्त बड़ी कमजारो होती है..वो सबकुछ बड़ी जल्दी भूल जाया करते हैं..पर अभी तीनों की राज्यों में काफी टक्कर का चुनाव होने वाला है..दोनों की पार्टियां एड़ी का चोट लगा रही हैं..सब बयान,सब इमान,यहां तक जन,मन,धन औऱ यहां तक की पूरी जीवन ही..चुनाव में समर्पित करने में नेता लगे हुए हैं..अब देखने वाली बात तो यह होगी की..किसके झूठे वादों,बातों पर जनता भरोसा करती है..क्योंकि
‘हमें तो गरल पीने की आदत सी हो गई है
देखते है कौन जल्दी मरने की दवा देता है’
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