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Showing posts from October, 2014

स्मारक इंडियंस पार्ट-17 (दीपावली पर घर जाने की हलचल)

दोस्तों यादों के सफर में आगे बढ़ने में मिल रही प्रतिक्रियाओं से आप सबके साथ होने का अहसास जिंदा हो रहा है और बार-बार कलम वापिस उसी दौर में लौट जाने को कह रही है..जिसे हम सब संजोकर जीवन में उस तस्वीर की तरह दिल में उतारना चाहते हैं जिस हर अल सुबह हम देख सकें..क्योंकि यादों के वो अंकुर इतने फलीभूत हुए है X कि यदि उनके फलों को खानें में हम अपनी ताउम्र लगा दे तो भी वो कम नहीं   होंगे..सच में लोग छूट बोलते हैं कि जब तक धड़कने चलती है तब   तक ही इंसान जिंदा रहता दरअसल वो धड़कने नहीं यादें   होती हैं गुजरने वाले वक्त की और जब वो यादें खत्म हो जाती हैं तो शायद हम भी... पर चिंता मत करो जनाब हमारे पास तो यादों का इतना बड़ा साम्राज्य है शायद सिकंदर के पास जितना राज्य ना रहा होगा..इसलिए हम सब यादों के सिकंदर है..तो चले फिर से निकल पड़ते उसकी ही तरफ किसी को जीतने नहीं अपितू यादों क   जीने लिए... कनिष्ठ उपाध्याय सच वो वो कक्षा होती   है जब हम इतने मासूम होते हैं कोई भी हमें भगवान को रूप समझ ले लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ हम क्या हो जाते हैं वो तो सौरभ मौ और र...

अनकही मोहब्बत..जज्बातों की जुबान से...पार्ट-04

हम सब बहुत खुश थे पास जो हो गए थे हम सभी दोस्तों मैं से वैसे फेल तो कोई नहीं हुआ था ।पर एक अदभुत व्यक्तित्व के धनी को हिन्दी में सप्लीमेंट्री जरूर आई थी..जिसे लेकर उसके बड़े मजे लिए जा रहे थे..हमारे रिजल्ट आने की खुशी में सौम्या ने हमें अपने घर पार्टी पर बुलाया था...हम सभी पहुंचे थे गीतिका और मेरी दीदी भी साथ ही थी...हम हंसी मजाक कर रहे थे..मैंने दापिका को इशारों में अपने पास बैठने को कहा था..वो मेरे बगल में ही बैठी थी..जो निर्भय को जरा भी अच्छा नहीं लग रहा था..इसलिए वो जरा अनकंफर्ट सा फील कर रहा था..थोड़ी देर बाद सब लोग चले गए सिवाय मेरे दीपका और निर्भय के हम अभी भी सौम्या के घर पर ही थे..लेकिन महौल बड़ा शांत था कोई कुछ बोल नहीं रहा था। सिवाय सौम्या के लेकिन सौम्या को कोई सुनना नहीं चाहता था..मैं गीतिका से बात करना चाहता था..और सौम्या निर्भय से..पर निर्भय भी गीतिका के बात करना चाहता था लेकिन उस दिन की लड़ाई के बाद वो भी हिम्मत नहीं कर पा रहा था..गीतिका से बात करने की...उस दिन सबके पास कहने के लिए इतना कुछ था पर कोई कुछ कह नहीं पा रहा था..लेकिन सबकी आंखे बहुत कुछ कह रही था...दीपि...

अनकही मोहब्बत..जज्बातों की जुबान से...-पार्ट-03

दोपहर का समय था मैं सोच रहा था कि मुझे निर्भय से नहीं लड़ना चाहिए था। एक लड़की के लिए मैंने अपने सबसे अच्छे दोस्त से लड़ाई कर ली..निर्भय मेरा ऐसा दोस्त था जिसके बिना मेरे घर वाले भी नहीं रह पाते थे...उसका मेरे घर या उसके घर मेरा ना जाना , मानो बहुत अजीब सा लगता था..उसने दिन मैंने खाना नहीं खाया   था..हर लड़ाई के बाद में ऐसा ही करता था...अपने पुराने घर में जब में अकेला बैठा था..तभी मुझे किसी के आने की आवाज सुनाई दी..अंदर से दरबाजा बंद था..इसलिए उसने आवाज दी मैं हूं..मैंने पूंछा मैं कौन..उसने कहा गीतिका..मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो क्यों आई है..मैने उससे पूंछा क्या है..तभी उसने जबाव दिया..बात करनी   है तुमसे..मैने अपना सिर हिला दिया कि मैं उससे बात नहीं करना चाहता...लेकिन वो नहीं मानी और मुझे दरवाजा खोलना पड़ा। अब सिर्फ हम दोनों ही मेरे घर में अकेले थे..वो मेरे साथ बैठी थी पर में उससे दूर जाना चाह रहा था। पर वो मेरे पास आई और मेरे हाथों में अपने हाथ को रखा और बोली..सॉरी आशू..प्लीज सॉरी ना..मैंने कहा मुझे बात नहीं करनी..तभी उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोली ..ठीक ...

अनकही मोहब्बत..जज्बातों की जुबान से...2..

 (लगातार जारी है....) अब बस मैं सुबह होने का इंतजार कर रहा था..हांलाकि मैंने निर्भय से शाम को मिलने के लिए कहा था क्योंकि में उसे सब कुछ बताना चाहता था..कि क्यों हुआ कैसा हुआ..निर्भय मेरा सबसे अच्छा दोस्त था हम साथ ही पड़ते   थे..लेकिन वो उस शाम नहीं आया ,, मैं सुबह जैसे ही उठा मैंने उसे अपनी छत से उसकी छत की तरफ देखा वो मुझे दिखाई नहीं दी..और में अपने दोस्तों के साथ उसके घर के बाहर ही बैठ गया और अपने दोस्तों से बतयाने लगा .तभी मुझे किसी के गाने की आवाज आई.. ” अब तो आदत सी है मुझे जीने में ” पता नहीं कौन से गाने की लाइन थी मैनें पहली बार सुनी थी ,, पर उसकी आवाज में मुझे बड़ी ही अच्छी लग रही थी मै बड़े ध्यान से सुन रहा था.. तभी अचानक वो फुदकती सी मुझे दिखाई दी शायद अभी अभी सो कर उठी थी..और थोड़ी अनमनी सी , बाल बिखरे हुए थे लोवर टी शर्ट में वो और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी..उसने मेरी तरफ नहीं देखा लेकिन मेरी आंखे उसके अलावा कुछ और नहीं देख पा रहीं थी..अब भी में उसे ही देख रहा था पर वो अपने घर वालों के साथ बातें करने में बिजी थी..हालांकि में कोई इतना बुरा लड़का भी न...