अनकही मोहब्बत..जज्बातों की जुबान से...-पार्ट-03
दोपहर का समय था मैं सोच रहा था कि
मुझे निर्भय से नहीं लड़ना चाहिए था। एक लड़की के लिए मैंने अपने सबसे अच्छे दोस्त
से लड़ाई कर ली..निर्भय मेरा ऐसा दोस्त था जिसके बिना मेरे घर वाले भी नहीं रह
पाते थे...उसका मेरे घर या उसके घर मेरा ना जाना ,
मानो बहुत अजीब सा लगता था..उसने दिन मैंने खाना नहीं खाया था..हर लड़ाई के बाद में ऐसा ही करता था...अपने पुराने घर में जब में
अकेला बैठा था..तभी मुझे किसी के आने की आवाज सुनाई दी..अंदर से दरबाजा बंद
था..इसलिए उसने आवाज दी मैं हूं..मैंने पूंछा मैं कौन..उसने कहा गीतिका..मुझे समझ
नहीं आ रहा था कि आखिर वो क्यों आई है..मैने उससे पूंछा क्या है..तभी उसने जबाव
दिया..बात करनी है तुमसे..मैने अपना सिर हिला दिया कि
मैं उससे बात नहीं करना चाहता...लेकिन वो नहीं मानी और मुझे दरवाजा खोलना पड़ा।
अब सिर्फ हम दोनों ही मेरे घर में
अकेले थे..वो मेरे साथ बैठी थी पर में उससे दूर जाना चाह रहा था। पर वो मेरे पास
आई और मेरे हाथों में अपने हाथ को रखा और बोली..सॉरी आशू..प्लीज सॉरी ना..मैंने
कहा मुझे बात नहीं करनी..तभी उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोली ..ठीक है बाबा
मुझसे बात मत करो लेकिन निर्भय से बात करना तुमने बंद क्यों कर दिया..मैंनें कुछ
नहीं कहा मैं कहता भी क्या..तभी वो बाली आशू समझा करो..वो तुम्हारा बचपन का दोस्त
है..तुम लोगों की दोस्ती की सभी बातें करते हैं और तुमने उससे लड़ाई कर ली..औऱ मैं
जानती हूं मेरी खातिर..उसने आगे कहा तुम दोनों तो बड़ी- बातें किया करते थे कि हम
दोनों के बीच कभी कोई लड़की
नहीं आएगी..हमारी दोस्ती कभी नहीं टूटेगी..अब क्या हुआ..मैंने उससे कुछ नहीं
कहा..लेकिन उसका समझाना मुझे अच्छा लग रहा था..लग रहा था वो मुझे ऐसे ही समझाती
जाए...साथ ही मुझे उस पर प्यार भी आ रहा था..और दिल कर रहा था कि क्यों ना आज उसे
दिल की बात बता दी जाए मौका अच्छा था लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी...निर्भय से
बिना वजह लड़ने का मुजे बड़ा मलाल था...सच में बहुत बार गलफमिया रिश्तों में ऐसी
दीवारें खड़ी करती हैं जो कभी नहीं भरती..क्योंकि गलफहमियों को दूर करने का उपाय
सिर्फ गलतफहमियां दूर करना है।
खैर मुझे अब निर्भय से लड़ाई करने का
दुख बहुत हो रहा था लेकिन अभी भी लग रहा था कि कैसे बात करुं उससे..पर गीतिका को
वादा भी कर चुका था कि में ही पहले बात करूंगा..पर मेरा ईगो मुझे बात नहीं करने दे
रहा था..दिल की अकड़ बहुत सारे रिश्तों को कमजोर कर देती है और बहुत सारे रिश्ते
इसलिए नहीं बन पाते क्योंकि रिश्तों के बीच में हमारा छद्म स्वाभिमान आ जाता
है...और हम उसे पुष्ट करने में बहुत सारे लोगों को खो देते हैं...मैं सोच ही रहा
था चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन मैं निर्भय से सॉरी बोलूंगा जरूर गीतिका को वादा जो
किया था..अब बस मौका तलाश रहा था..आजकल मैंने क्रिकेट खेलना बंद कर दिया थोड़ा
बहुत मोहल्ले में ही खेला करता था..क्योंकि गीतिका को देखने का में कोई भी मौका
गंवाना नहीं चाहता था..इसे लेकर मेरे साथियों को बड़ी दिक्कत थी क्योंकि मेरे
क्रिकेट खेलने नहीं जाने से अब कोई भी खेलने नहीं जाता था...
निर्भय ने अब हमारे मोहल्ले में आना
जाना छोड़ दिया था लेकिन मुझे खबर लग रही थी कि गीतिका के मंदिर जाते टाइम वो
गीतिका से मिल लेता था..मेरे और भी दोस्त थे जो मुझे गीतिका की एक-एक बात बताया
करते थे..अरे हां सौम्या से तो में आपका परिचय करना भूल ही गया। सौम्या जो तथाकथित
निर्भय की गर्लफ्रेंड थी पर निर्भय उसको भाव नहीं देता था। हालांकि वो निर्भय के
आसपास मंडराती जरूर रहती थी पर उसका उसे कोई फायदा नहीं होता था..जिसके चलते वो
मुझसे भी चिपकने की कोशिश करती पर में उसका दुखड़ा सुन लेता था..क्योंकि मेरी तरह
वो भी निर्भय और गीतिका पर पूरी नजर रखे हुए थी और हम दोनों का मिशन एक ही था की
गीतिका और निर्भय कभी बात ना कर पाए..क्योंकि में गीतिका चाहता था और वो
निर्भय..खैर मुझे वो खास अच्छी तो नहीं लगती थी पर हां गीतिका-निर्भय की खबरों के
लिए में उससे बात जरूर करने लगा था....
सौम्या आजकल मेरे घर बहुत आती थी,शायद गीतिका भी ये देख रही थी और उसने मुझसे एक
दो बार बोला भी की सौम्या से बात मत किया करो लेकिन मैंने उसकी बात नहीं मानी..मैं देख रहा था कि मैं और
गीतिका दोनों ही एक दूसरे को लेकर पजेसिव थे..उसे मेरा सौम्या से बात करना पसंद
नहीं था तो मुझे उसका निर्भय से...हम दोनों ही एकदूसरे की बात मानने तैयार नहीं
थे...तभी अचानक मेरा दसवी कक्षा का रिजल्ट आने की सूचना हमें मिली..हांलाकि उस समय
नेट पर ही रिजल्ट घोषित हुआ था और निर्भय को ही हम सब में से उस समय कम्प्यूटर
चलाना आता था..इसलिए मेरे सभी दोस्त मुझे छोड़कर निर्भय के पास भागे..और सभी पास
के ही गांव रिजल्ट देखने के लिए तैयार हुए जो नहीं जा सकते थे उन्होंने निर्भय से
रिजल्ट देखने को कहा...
मैं भी सबके साथ पास के ही कस्बे में
रिजल्ट देखने पहुंचा था। तभी निर्भय ने इंटरनेट पर अपना रिजल्ट देखा..वो खुशी से
झूम रहा था क्योंकि उसने 77 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे..साथ ही मेरी भतीजी रोशनी
ने 75 प्रतिशत अंक प्राप्त किये थे..सब अपना-अपना रिजल्ट देख चुके थे। मैं बहुत ही
घबड़ा रहा था कि पता नहीं मेरा कैसा रिजल्ट आएगा पास हो पाउंगा या नहीं तभी अचानक
निर्भय ने मुझे बुलाया और बधाई दी आशू तुम पास हो गए हो वो भी फस्ट डिवीजन से मुझे
तो यकीन ही नहीं
हुआ..इतना सुनते ही मैंने उसे गले गला लिया...और हम सब
वहीं झूमने लगे..मैंने उससे सॉरी बोला..उसने कहा छोड़ ना यार सब चलता
है............
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आपकी टिप्पणियां मेरे लेखन के लिए ऑक्सीजन हैं...कृप्या इन्हें मुझसे दूर न रखें....