स्मारक इंडियंस “यादों का कारवां”- पार्ट-01


यादे इंसान का बजूद कायम रखती है..औऱ खास कर अच्छी य़ादें तो इंसान की बुनियाद बनाए रखती हैं..हर कोई यादों की जुगाली करना चाहता है..यादों के साथ अटखेलियां करना चाहता है.. क्योंकि हम बहुत कुछ यादों में ही जिंदा रहते हैं...जिंदगी की उन्हीं यादों को शब्दों में उकेरने की कोशिश कर रहा हूँ..इन यादों में पाए जाने वाले प्राणियों अर्थात मेरे मित्रों से गुजारिश है कि यादों के कुछ हसीन पल जो छूट जाए वो जरूर शेयर करते जाए।जिससे हमारी यादों का खजाना समृध्द हो जाए और हम ज्यादा गुदगुदा सके। 27 जून 2005 यही वो दिन था,जो यादों के पटल पर कुछ इस तरह अंकित हो गया है कि लगता है जिंदगी की शुरूआत इसी दिन से हुई हो।मेरी तरह बहुत से लोगों के लिए ये दिन महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इस दिन जिंदगी का इक स्वर्णिम अध्याय हमारे साथ जुड़ने जा रहा था।स्टेशन पर उतरते ही स्मारक का लेटर निकालकर कुछ इस तरह का पता बताय़ा था मैंने ऑटो वाले को पं टोडरमल स्मारक ,त्रिमूर्ति जैन मंदिर A-4 बापूनगर जयपुर(राजस्थान)302015.उस समय पता नहीं था कि ये पता लापता सी जिंदगी को पता देने वाला है ।स्मारक में पहला कदम शाम के वक्त शायद 6.20 पर रखा होगा।पीछे वाले गेट से अंदर आया था। बड़ी मशक्कत के बाद,एकदम डरा सहमा सा,ऐसा लग रहा था मानों वनवास पर आया हूँ,पता नहीं क्या होगा,पिता जी बड़ी ढांढस बंधा रहे थे पर ,कुछ असर नहीं हो रहा था।पर वहां जाकर देखा मेरी तरह कुछ औऱ भी डरे सहमे से चेहरे थे।जो अपना वजूद तलाश रहे थे.डरे से दुनिया से अंजान,उन्हें देखकर आप कह ही नहीं सकते कि वो सब ये हैं जो आज दिखाई दे रहे हैं।किसी ने सही कहा है आप इंसान क्या है इसका अंदाजा उसका सिर्फ चेहरा देखकर नहीं लगा सकते,लोगों के कई चेहरों की तरह फितरतें,आदतें,चरित्र भी कई तरह का होता है।जो धीरे धीरे सामने आता जाता है।अब यहां यदि में कपिल और सुनय का नाम नहीं लूंगा तो जरा बेमानी होगी,देखने में इकदम छोटे से देखकर ऐसा लग रहा था जैसे साले पेट से सीधे निकलकर आ रहे हों।पर ताव देखो तो माशाअल्ला आप भी डर जाएं और बार जब कभी घर की याद में रोना आता तो इनकी ही दुहाइंया दी जाती कि ..यार इतने छोटे-छोटे लोग तो रह रहे है फिर तुम्हें क्या दिक्कत,अरे भाई दिक्कत इनसे नहीं थी बड़े बड़े लोगों से थी। जिनमें सजल,अक्षय पिड़ावा(हिस्सा नहीं है लेकिन नाम लिखना जरूरी है)औऱ राहुल और तथाकथित चिंतामन भी इन लोगों में शामिल हुआ करता था,जिनसे में काफी डरा करता था..जिसमें सजल से तो कई बार झगड़े भी हुए पर सजल तो सजल था कौन साला सजल से बात बंद करके जिंदगी को जहन्नुम बनाना चाहता,अपुन भी साला बेशर्मों की तरह मार खाकर भी इठलाते रहे।खैर बात तो शुरू से करनी है पर क्या करें साला जज्बातों पर कंट्रोल ही नहीं है बहुत कुछ लिखने को मन करता।पर अभी इमोशंस को कंट्रोल करता हूँ,और यादों के कारवां को आगे बढ़ाते हैं।चैतन्यधाम हमारे लिए बनकर तैयार हो चुका था।औऱ स्मारक में प्रवेश के बाद हमें कमरे ऑलाट होना भी शुरू हो गया था।लगभग सब लोग आ गए थे।मेरे ख्याल से विवेक और करन कुछ दिन बाद आए थे।लेकिन सबसे ज्यादा अवेटिड कोई पर्सन था तो वो करन ही था। लेकिन उस दौरान 2005 में गुजरात में कुछ ज्यादा ही बारिश हो रही थी।जिसके चलते करन थोड़ा देर से आय़ा और आज भी हम सब में देर तक स्मारक में रूका भी वही है। शायद उन दिनों को ब्याज सहित फिर से इंजाय कर रहा है।

तो भाई धर्मेन्द्र जी ने सबको रूम दे दिए महाराष्ट्र से आए हुए मित्रों ने अपनी अलग मंडली बना ली।उनके साथ कांग्रेस की तरह कर्नाटक औऱ तमिलनाड़ू के मित्रों ने भी गठबंधन बना लिया औऱ मध्यप्रदेश औऱ राजस्थान के लोग गठजोड़ के साथ आ गए।औऱ फिर मराठी,बुंदेलखंडी घमाशान शुरू हो गई।और इसका श्रेय मध्यप्रदेश  के टीकमगढ़ से आए निशंक,समकित औऱ एक सख्श और था जिसे में भूल रहा हूँ ने और महाराष्ट्र की तरफ से विपक्ष के नेता बने चिंतामन और कोलापुर से भी एक लंबे कद काठी के महानुभाव आये थे,उन्होंने मोर्चा सम्हाला हुआ था..इसके आलावा बहुत कुछ दूरियां बनाने में हमारे सीनियर्स ने भी आग में घी का काम किया। लेकिन भगवान का शुक्र है आग लगाने वाले पहले ही हमारे बेच  से निकल लिए।और हम 28 में से बचे कुल 25 ।फिर बना नया भारत एकता में अनेकता वाला,फिर भी अभी थोड़ा बहुत फर्क था ।दोनों में औऱ मुझे याद है दो महिनों तक शायद ही हम लोग साथ नजर आए हों।लेकिन वक्त का तकाजा देखिए दूरियों,घृणा औऱ नफरत से शुरू हुआ रिश्ता आज खून के रिश्ते से भी ज्यादा मजबूत हो गया है।इसलिए आज भले ही इकदूसरे के लिए प्राणवायु ना हो पर प्राणप्रिय जरूर हो गए हैं...अब इस पार्ट में कुछ औऱ लिखूंगा तो सालों कहोगे..अभिषेक फिर बतोलेबाजी करने लगा कोई नहीं कहेगा तो विवेक,सौरभ तो जरूर साला मेरी ऐसी तेसी करेंगे इस लिए इस पार्ट में यहीं विराम लेता हूँ। और अगले पार्ट में सबसे पहले 29 वे बेच के 28 नगीनों को परिचय कराके।यादों के कारवां को गति देंगे..तब तक आप लोग कमेंट करके मुझे ऑक्सीजन देते रहे जिससे में इस गुलदस्ते को औऱ खूबसूरत बना सकूं......(अगले पार्ट में मिलते है आप सभी के परिचय के साथ...जिसमें कुछ बाहर औऱ अंदर की बाते भी शामिल होंगी..)जारी है...

Comments

  1. Meri jaan... tune fir se jinda kar diya... :*
    Love u...
    Awesomest....

    ReplyDelete

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