स्मारक इंडियंस”यादों का कारवां”पार्ट- 02


(इसे पढ़ने से पहले पहला पार्ट जरूर पड़े)
चलो रे..जल्दी चलो..धर्मेन्द्र जी हत्यारे गुस्सा हो रय है रे ....प्रार्थना को टेम हो गव...सुबह के समय जैसे ही ये आवाज आया करती थी। नींद अपने आप खुल जाया करती थी.औऱ ये आवाज होती थी राहुल नेता कि।इसलिए आज इस इस यादों के कारंवां भाग दो की शुरूवात राहुल से ही करते है। ,सबके बारे में बताना जरूरी है क्योंकि सभी बड़ी बड़ी हस्तियां थी अपने आप में..तो लो जी शुरू करते हैं...इस सुनहरे सफर की सुनहरी तस्वीरों को लहरों के राजहंसों के साथ.....

राहुल- जी सिर्फ इनका नाम ही कन्फर्म हुआ था,इनका पता तो आज तक लापता ही है।पांच सालों में पता ही नहीं चला कि आखिर ये हैं कहा के,कभी दमोह तो कभी पथरिया,खुरई,सागर,और ना जाने कहा कहा के थे।आदरणीय राहुल नेता ।लेकिन फाइनली अब पता चल गया था कि राहुल दमोह जिले के बरखेरा गांव के हैं।जहां आज भी बस नहीं जाती,औऱ इनका गांव असली बुंदेलकंड की तस्वीर सांझा करता है..खैर ये हमारी क्लाश के ऐसे शख्श थे.कि यदि इनका नाम ना लो तो क्लास अधूरी सी लगती थी।मेरा इनसे मिलना तब हुआ जब मेरा नहाने का साबुन चोरी हुआ था।और मैंने इन महोदय को बताया था।और कुछ ही समय में मेरा साबुन मुझे मिल गया।औऱ साबुन के साथ एक दोस्त भी।जिससे दूर रहने के लिए हमारे वार्डन से लेकर सीनियर पांचों  साल मना करते रहे पर कभी अलग नहीं हुआ।औऱ भाई अलग होकर मरना था क्या,राहुल तो ऐसी चीज था कि पूछों मत।और इनके बारे में जितनी बातें मुझे पता थीं,अगर उन्हें बता दिया जाता तो इन्हें शायद ही कभी स्मारक में रखा जाता।औऱ इनका आतंक भी इतना रहा कि पूछों मत,हर गलत काम में हाथ होते हुए भी बिलकुल बेगुनाह की तरह खड़े होते थे।जैसे इन्होंने कुछ किया ही ना हो,हां यदि बाइ चांस कुछ पंगा हो गया तो सौरभ मौ तो था हीं इल्जाम सिर मड़ने के लिए...इन पर कुछ संगीन आरोप थे पर कोई साबित नहीं कर पाया।क्योंकि देश के कानून कि तरह स्मारक का कानून साबूत मांगता था और इन्हें साबूत मिटाने की कला बखूबी आती थी।कुछ आरोपों का पर्दाफाश करना यहां सही रहेगा क्योंकि अब सजा तो होगी नहीं तो भाई राहुल तेरा काला चिट्ठा उजागर कर रहा हूँ,तो मांफ करना पर क्या करूं यहां तो सबके बारे में सही सही ही लिखना पड़ेगा ना..पहला कांड औऱ सबसे बड़ा होली के एक दिन पानी की टंकी में आप और आपके साथियों द्वारा रंग मिलाया जाना।जिसमें तथाकथित में भी शामिल था,जिसकी सजा हमारे कुछ जूनियर्स को मिली ।उनसे क्षमा मांगता हूँ पर हमने तो सिर्फ मजे के लिए ही ऐसा किया था किसी को फंसाना मकसद नहीं था।उसके बाद शांति की डांट,सच में वो शब्द आज भी याद आते हैं जो उन्होंने सुबह मीटिंग में बोले थेजिसने रंग डाला है औऱ जिसे पता है वो बता दे वर्ना वो नपुंसक की तरह है।मां कसम लगा तो अभी सब बक दूं पर फिर सोचा चलो यार दोस्त के लिए इतनी गालियां तो सुन ही सकते है...दूसरा कांड सेठी जी के रसगुल्ला चोरी का है जिसे शायद कम ही लोग ही जानते है..जिसे सौरभ मौ के साथ मिलकर अंजाम दिया गया था।बहुत खाए पर बाद में पता चला कि ऱसगुल्लों का राज तो कुछ और ही है।प्रवीण जी के घर से गेट लगाना,बहुत सारे मित्रों के कपड़े काटना,चाचा के ऊपर छत से पानी फेंकना।औऱ चैतन्य धाम का वो फोन जिस पर घर से फोन आय़ा करता था वो तो आज  तक पता नहीं चला कहा गया शायद राहुल को पता होगा ।रात को फंसने पर हमेशा सतीस जी,और किशोर जी धोंगड़े का नाम लेना..यार बहुत बड़ी लिस्ट है धीरे धीरे बताते जाउंगा।फिलहाल इनमें कुछ अच्छाई भी थी जो बताना जरूरी है।इन्हें दोस्ती बड़ी अच्छे से करना आता था,दूसरा अपनी बात मनवाने के लिए ये सब कर सकते थे।इन्होंने बहुत मस्ती की है क्लास में शायद राहुल ना होता तो हम इतना इंजाय ना कर पाते,इकदम लाजबाब आदमी।जिसे आज भी याद करके दिल खुश हो जाता है।हां एक बात औऱ अभी ये ये ग्वालियर में केडवरी चॉकलेट में अच्छे पद पर कार्यरत हैं औऱ क्लाश का नाम रोशन कर रहे है औऱ जल्द शादी की खुशखबरी भी दे सकते हैं ।पर आपने इन्हें जैसा छोड़ा था वैसे है कौआ की तरह कुछ नहीं बदला...वैसे भी राहुल बदल जाए तो फिर राहुल होने का मतलब ही क्या...अभी बहुत सारे नगीने बाकी है इसलिए राहुल से विदा लेता हूँ,औऱ राहुल के ही संगी साथी सौरभ मौ की बात करते है।क्योंकि राहुल के साथ सौरभ ज्यादा प्रसांगिक रहेंगा.....

सौरभ मौ-पहला सवाल इनसे राहुल ने पूछा था।काय तुम का के आव,सौरभ बोले थे मौ के,का के रय मौ के ।हमें बड़ी हंसी आई थी वे कैसा नाम है इसके गांव का तभी..दीपेश..काय तुमाय मौ में लेट्रिंग बनी है..सौरभ हव कय ,,दीपेश-अच्छा  मतलब लैट्रिंग तुम मौ में जात हो..सौरभ..हव हम बंपेई तो जात हैं कय....
बस इनसे इंट्रोडक्शन इसी तरह हुआ था।बहुत स्मार्ट बंदा,वॉडी साडी बनाकर रखने वाला इकदम डय़ूड  टाइप.उम्र में हम लोगों की पापाओं से पांच छ  साल छोटे थे हमारे सौरभ मौ..इनकी मुझे वो तस्वीर याद है .जब ये कोलकाता की चेरी के प्यार में पागल थे।कान में इयरफोन लगाकर शान कुमार के दर्द भरे गाने सुना करते थे और आंसू बहाया करते थे।बड़ी हंसी आती थी कैसा पागल लड़का है रो रहा है।खैर प्यार में सब जायज है. सौरभ मौ राहुल की पर्याय हुआ करते थे।क्योंकि सब गलत काम सौरभ राहुल के साथ मिलकर ही किया करते थे ।इसलिए क्लाश के मोस्ट वांटेड लोगों में इनका नाम भी दर्ज था।और प्रवीण के थाने में इनके खिलाफ रोज ही एफआईआऱ दर्ज हुआ करती थी।भाई सौरभ एक बात बता दूँ तुम्हें शायद पता नहीं होगी।सबसे ज्यादा तुम्हारी शिकायते तुम्हारे आसपास के लोगों ने ही की थी।पर उनका मकसद कुछ गलत नहीं था।बस एवई कर देते होंगे।तुम्हारे बारे में बहुत कुछ अच्छा बुरा है लिखने को पर मैं तुम्हारे बारे में कुछ अच्छा ही लिखना चाहता हूँ ।क्योंकि तुम्हारी अच्छाई बहुत कम लोगों को पता होगी।सच में तुम बहुत अच्छे इंसान हो.दोस्त के लिए जान देने वाले औऱ तुम्हारा बलिदान दोस्तों के लिए ही था।और तुम में कुछ कर दिखाने का जज्बा जो है वो तो काबले तारीफ है।जिसे में कह नहीं सकता।क्योंकि तुम मेहनत बहुत करते थे।और आज तुमने सबको दिखा भी दिया है तुम क्या हो सो डियर सलाम करता हूँ तुम्हें...सौरभ भले ही अपने समय में कैसा रहा हो पर आज वो क्लाश का सबसे सफल बंदा है अपने दम पर अपने रास्तों पर चलकर अपने लिए उसने मंजिल बनाई है औऱ दिनों दिन मंजिलों को छू रहा है।और उसकी अभी कुछ दिन बाद ही जनवरी में शादी है।तो इक नए जीवन को भी वो पूरी संजीदगी से निभाने वाला है।भाभी जी यदि आप कभी ये पोस्ट पड़े तो आपसे भी कहना चाहता हूँ  सौरभ भाई बहुत अच्छे इंसान है जो आपको हमेशा खुश रखेंगे....खैर भाई तुझमें जितने गुण नहीं थे उससे ज्यादा ही तेरी तारीफ हो गई है और अब ज्यादा कुछ नहीं लिख रहा हूँ पर वर्ना तो पढ़कर पागल हो जाएगा...

दीपेश – मोकाम पोस्ट अमरमऊ..क्या लिखुं अच्छा या बुरा पता नहीं..क्योंकि पांच सालों में जनाब ने मुझसे 4 सालों तक तो बात नहीं की होगी।मेरे आलावा भी बहुत से लोग हैं जिनसे जनाब ने बात नहीं की है।क्योंकि जनाब का मानना होता था कि दोस्त प्राणवायु नहीं होते जिनके बिना जिंदगी ना चले।पर दोस्त बता दूं दोस्त भले ही प्राणवायु नहीं होते सही है पर प्राणप्रिय तो होते हैं, जो देर सबेर जरूरी तो होते ही हैं...खैर अब ये ऐसे नहीं हैं जैसे पहले ते अब इनका काफी विकास हो चुका है औऱ ये अब पहले से ज्यादा मिलनसार औऱ जीवट हो गए हैं...दीपेश एक ऐसा नाम जो हमेशा खमोश रहा करता था।किसी ने एक बात लिखी है जो दीपेश पर खासी सही बैठती है कि काम इतनी खमोशी से करो की जब काम पूरा हो जाए तो हड़कंप मच जाए..वही दीपेश हमेशा से करता रहा।कहना चाहिए क्लाश का सबसे इंटेलीजेंट लड़का ...पहले तो नहीं था पर सैकिंडईयर फाइनल तक आते आते दीपेश क्लास का सबसे होशियार लड़का बन चुका था।मतलब जब जागना था सही समय पर जागा और आज गवर्मेट जॉब कर रहा है वो भी मेरे गांव मड़देवरा में।पर भाई दीपेश मानना पड़ेगा इतने बडे ब़ड़े कांड किए पर  कभी नाम नहीं आए बिल्कुल बेदाग छवि के साथ आदर्श विद्यार्थी का खिताब हासिल कर गए।खैर तुम आदर्श थे,पर उदम मस्ती में जितना राहुल सौरभ का हाथ हुआ करता था,उतना तुम्हारा भी,पर तुम तो तुम थे,औऱ एक बात और इनके बारे में भोपाल गैसकांड में गैसकांड कराने से पहले एंडरसन इनके पास ही आया था,ट्रेनिंग लेने,मां कसम पेट बजा बजाकर इतना पादा तुमने की आज भी वो सम्यक चरित्र का कमरा बदबू मार रहा होगा।तुम्हारे कुतर्क तो सच में तर्क से भी ज्यादा मजे देते थे।हर वाद विवाद प्रतिय़ोगिता में पीयूष जी को कहना पड़ता था।अच्छी शैली का गलत प्रयोग,और भाई तुम्हारी आवाज के तो हम सब कायल थे,पर तुमने कभी अपने को गायक नहीं समझा,तुम में और भी बहुत खूबियां थी पर तुम अपने अक्खड़पन के चलते यूज नहीं कर पाए।और साथ भी नहीं रह पाए।खैर अब राह पर आ गए हो,तो साथ इंजाय करने का मलाल खत्म हो जाएगा।तुम्हें अमरमऊ शिविर के दौरान बहुत कुछ जानने की कोशिश की पर तुम मुझे आज भी समझ नहीं आए,तुम्हारा विदाई समारोह के समय विहेवियर.इकदम आश्चर्यचकित करने वाला था,और भी बहुत कुछ जो हम आज इन यादों में लिख सकते थे वो मौके हमने गवां दिए.खैर आज हम सब अच्छे दोस्त हैं..औऱ तुम अपने मुकाम पर पहुंच गए हो और लगातार कुछ ना कुछ नया करके मंजिल की तरफ आगे बढ़ रहे हो औऱ हमारी क्लास का नाम रोशन कर रहे हो...ये हमारे लिए बढ़ी खुशी की बात औऱ भी बहुत सी बाते हैं पर यहां के लिए बस इतना ही क्योंकि लिखते हुए भावुक हो रहा हुँ औऱ भावुक होकर लिखना यहां लिखना एलाउड नहीं है सो अब बस....बर्ना ये ये आर्टीकल ना होकर तुम्हारे नाम पत्र बन जाएगा।पर मेरा मकसद .ही है वो सब हम बताए जो तब बता नहीं पाए...
यार कुछ ज्यादा ही बोर कर दिया क्या करे साल था ही कमीना लिखना पड़ा इस पार्ट में बस तीन लोगों की ही रामायण लिख पाया अभी आगे बहुत लोग बाकी है।किसी के बारे में कुछ छूटता हुआ लगे औऱ कोई सुझाव हो तो देते जाए सुधार करते जाएंगे...अब चलो भईया शान्ति जी के प्रवचन को टाइम हो गव फिर मिलत हैं ..तीसरे पार्ट में....जारी है............

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