कराहती आवाज़ ...लुटती अस्मिता ...ख़त्म होता इंसानियत का अस्तित्व !!!!!!!!!!!!!
बहुत कोशिश कर रहा हूँ की कुछ न लिखू, कुछ न बोलू ,बस चुप रहूँ। पर आखिर कब तक और क्यों ,क्या करूं। बस इसी तरह बस लिखता रहूँ की आप पड़े लाइक करे कमेन्ट करे और मुझे शाबासी दे ।पर इससे उसका क्या हुआ उसको क्या मिला उसका दर्द कहा कम हुआ उसकी आत्मा तो आज भी चीख रही है ।चिल्ला रही उसका दर्द तो आज भी बयां नहीं हो पा रहा है ।आंसुओं का समुन्द्र है पर उस दर्द के सामने वो सूख गया है ।उसकी एक- एक आह हैवानियत का कहानी कह रही है।और पूछ रही है की मेरा कसूर क्या है ,बस इतना ही की तुझ जैसे हैवानो को मैंने पैदा किया ,हर माँ आज सोच रही होगी की यदि ऐसे बिषेले इन्सान इस कोख से जन्म लेते है तो कभी यह कोख न भरे । इतनी दरिंदगी कैसे किसी के अंदर हो सकती है रूह नहीं कांपती होगी क्या उनकी ..., हैवान भी खुश हो रहे होंगे की अच्छा है हम इन्सान नहीं है ,इतनी दरिन्दगी तो अपनों के साथ हम भी नहीं करते पर यह इन्सान है सबसे समझदार प्राणी यह सब...